छत्तीसगढ़ में एक-दो रुपया किलो चावल योजना के चलते मध्यम वर्ग का बुरा हाल है। लेबर प्राब्लम के साथ-साथ चावल सहित अन्य समानों की कीमतों में दो गुणा वृद्धि हो गई है जबकि चावल वास्तविक लोगों को मिलने की बजाय कालाबाजारी में चला गया है।जगह-जगह मध्यम वर्ग की तरफ से यह सवाल उठाये जा रहे हैं कि आखिर एक रुपया किलो चावल बांटकर सरकार को वोट बैंक की राजनीति करने का अधिकार क्या है? इस एक रुपया किलो चावल योजना का दुष्परिणाम मध्यम वर्ग को सर्वाधिक भुगतना पड़ रहा है। ब्राम्हणपारा निवासी संजीव तिवारी ने कहा कि इस एक रुपया किलो चावल योजना की वजह से घरेलु काम के लिए नौकर-नौकरानी नहीं मिल रही है। पहले जो लोग मन लगाकर काम करते थे वे इस योजना के लागू होने के बाद छुट्टियां मारने लगे। सुंदर नगर निवासी प्रमिला पाण्डे ने कहा कि इस योजना के कारण महंगाई बढ़ गई है 16 रुपए किलो वाला एचएमटी चावल 40 रुपए किलो मिल रहा है। नौकरो का भाव अलग बढ़ गया है।
इसी तरह सदर बाजार निवासी नवरतन गोलछा का कहना था कि इस योजना ने प्रदेश की आर्थिक स्थिति को जर्जर कर दिया है। चावल योजना का लाभ वास्तविक लोगों को कम जमाखारों-कालाबाजारियों को अधिक मिल रहा है। जबकि प्रभाकर अग्रवाल का कहना था कि फर्जी राशन कार्ड बनाकर एक रुपया किलो वाले चावल दूसरे प्रांतों में बेचा जा रहा है।
बताया जाता है कि चावल योजना को लेकर सबसे यादा त्रस्त मध्यम वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग के लोग है क्योंकि इन वर्गों को न केवल महंगाई का सामना करना पड़ रहा है बल्कि घरेलू नौकरों के भाव बढ़ने से सर्वाधिक परेशानी इन्हीं वर्गों को उठाना पड़ रहा है। ऐसे में भले ही भारतीय जनता पार्टी नगरीय निकाय चुनाव में व्यक्तिगत ईमेज का अमलीजामा पहनाये मध्यम वर्ग भाजपा के खिलाफ बड़े पैमाने पर वोट डाला है।
राजधानी में भाजपा ने प्रभा दुबे को अपना प्रत्याशी बनाया प्रभा दुबे को इस चावल योजना के चलते भारी नुकसान उठाना पढ़ा है। राजधानी में रहने वाले यादातर ब्राम्हण वोटर मध्यम वर्ग के हैं और इस प्रतिनिधि को चर्चा के दौरान अधिकांश लोगों का कहना था कि वे चावल योजना से त्रस्त है इसलिए यदि ब्राम्हणपारा की बात हुई तो वे बसपा प्रत्याशी प्रणिता पाण्डे को वोट दे देंगे लेकिन भाजपा को वोट नहीं देंगे। आखिर ऐसे लोगों को कैसे चुना जा सकता है जिनकी सरकार के चलते मध्यम वर्ग त्रस्त है।
सूत्रों की माने तो चावल योजना भाजपा के लिए गले की हड्डी बनते जा रही है। रोज हजारों की संख्या में फर्जी राशन कार्ड पकड़ाये जा रहे है। यदि खबरों पर भरोसा करे तो मुख्यमंत्री के गृह जिले कवर्धा में एक गुप्ता परिवार ने चावल योजना के चावल को पटना भेजकर करोड़ों रुपया कमाया और सालभर के भीतर ही 7 ट्रक खरीद लिया।
राजधानी में भी बड़े पैमाने पर फर्जी राशन कार्ड पकड़ाये गए। यहां तक कि ये चावल किराना स्टोर्स में भी बिक रहे है। वास्तविक लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है और कालाबाजारी करने वाले मस्त है।
बहरहाल सरकार की चावल योजना को लेकर मध्यम वर्ग त्रस्त है
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