मंगलवार, 4 मई 2010

मुंबई घुमने पर्यटन मंडल की कार का उपयोगलाखों रुपयों का चूना लगाया


लगता है मुंबई में पर्यटन मंडल ने जो कार्यालय खोला है वह पर्यटन के प्रचार प्रसार की बजाय मंत्रियों और अधिकारियों की मित्र मंडलियों का ऐशगाह बनकर रह गया है। इसका ताजा उदाहरण मुंबई पर्यटन मंडल द्वारा टेक्सियों का बकाया बिल है जो 25 लाख से उपर बताया जा रहा है।छत्तीगढ़ शासन ने पर्यटन को बढ़ावा देने प्रदेश के बाहर भी पर्यटन मंडल का कार्यालय खोल रखा है इसमें से एक कार्यालय मुंबई में स्थित है। बताया जाता है कि जब से मुंबई में पर्यटन मंडल ने कार्यालय खोला है तभी से सरकार में बैठे अधिकारियों व मंत्रियों के मित्रों की निकल पड़ी है। आए दिन मुंबई घुमने वालों की बढ़ती संख्या से पर्यटन मंडल के कई अधिकारी हैरान है।बताया जाता है कि मुंबई कार्यालय के बढ़ते खर्चे को लेकर इसे बंद किए जाने की भी चर्चा हो चुकी है। लेकिन कुछ अधिकारी व कुछ मंत्रियों की वजह से मुंबई कार्यालय बंद किए जाने का मामला आगे नहीं बढ़ पाया। सूत्रों के मुताबिक मुंबई पर्यटन मंडल द्वारा छत्तीसगढ़ से पहुंचने वालों के लिए किराए की टैक्सियों का इंतजाम करने लगा है और यही खर्चा ही लाखों-करोड़ों में होने लगा है। हालांकि खर्चे विभागीय कार्य के बताए जा रहे हैं लेकिन कार में घुमने वाले किसी न किसी मंत्री या अधिकारी के सिफारिश के साथ पहुंचते हैं।बताया जाता है कि पिछले माह एक अधिकारी के रिश्तेदार ने 15 दिनों तक मुंबई का सैर किया और इस किराये की टैक्सी का खर्च पर्यटन मंडल के जिम्मे चला गया। लेकिन इस मामले की लीपापोती कर दी गई। इधर इस मामले में मुंबई कार्यालय में संजय जैन से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। बहरहाल पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर मुंबई में घुमने-फिरने वालों का खर्च उठाने का मामला तूल पकड़ने लगा है देखना है इस पर क्या कार्रवाई होती है।

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