सोमवार, 7 जून 2010

न्याय-मंदिर को भी नहीं बख्शा!



घोटालों की कहानी चढी लोगों की जुबानी
प्रदेश के दमदार माने जाने वाले पीडब्ल्यूडी मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के विभागीय अफसरों ने बिलासपुर हाईकोर्ट के भवन निर्माण में भी लागत मूल्य बढाकर उच्च स्तर पर जमकर कमीशनखोरी की। मंत्री के संरक्षण में हुए इस काम में न्याय मंदिर को भी नहीं बख्शे जाने की चर्चा आम लोगों के जुबान पर है और इसे अतिवादी बताया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ पीडब्ल्यूडी विभाग में चल रहे कमीशनखोरी की कहानी अब आम लोगों तक पहुंच गई है। घोटाले से लेकर कमीशनखोरी से बिलासपुर स्थित हाईकोर्ट भवन भी नहीं बच पाया है कहा जाता है कि जिस तरह से न्यू सर्किट हाउस को बनाने में घपलेबाजी की गई लगभग वही तरीका यहां भी अपनाया गया और ठेकेदारों से मिलीभगत कर शासन को करोड़ों रुपए का चुना लगाया गया है।
हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पीडब्ल्यूडी विभाग ने हाईकोर्ट भवन बनाने की लागत में लगातार वृध्दि होते रही और कहा जाता है कि लागत मूल्य बढ़ाने के पीछे सीधे-सीधे डकैती रही है। न्याय मंदिर के भवन निर्माण में हुए इस घपलेबाजी पर तो यहां तक कहा जाता है कि इस मामले में उच्चस्तरीय लेन-देन हुआ है और करोड़ों रुपए की इस घपलेबाजी की जांच हुई तो कई बड़े मगरमच्छ जेल की सलाखों में जाएंगे।
बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ पीडब्ल्यूडी में जब से नए मंत्री ने पदभार संभाला है तभी से कमीशनखोरी बढ़ गई है और चहेते अफसरों को पदोन्नति देकर अनापशनाप काम कराया जाने लगा है। बताया जाता है कि प्राय: हर निर्माण का लागत मूल्य बढ़ाकर उच्च स्तर पर ठेकेदारों से मिलीभगत कर लाखों करोड़ों रुपए डकारे जा रहे हैं और इसी कड़ी में न्याय मंदिर के भवन निर्माण पर भी खूब जेबें गरम की गई है। बहरहाल न्याय मंदिर के निर्माण में हुए इस घपलेबाजी पर आम प्रतिक्रिया यह है कि राम को नहीं छोड़ने वाले लोगों से और क्या उम्मीद की जा सकती है।

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