रविवार, 11 जुलाई 2010

देश के नम्बर एक मुख्यमंत्री रहे रमन को अपने ही प्रमुख सचिव की चुनौती

छत्तीसगढ़ संवाद में हुए करीब 100 करोड़ के घपले और 40 करोड़ की ऑडिट आपत्ति की खबरें राजधानी में गूंज रही है। योति एंड कंपनी द्वारा तैयार आडिट रिपोर्ट की कापी कायदे से महालेखाकार को भेजा जाना था। लेकिन इसमें की गई आपत्तियों के चलते सीईओ एन बैजेन्द्र कुमार इसे छुपाने या बदलने में अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं।
बताया गया कि योति एंड कंपनी ने सीधे तौर पर रिपोर्ट बदलने से मना कर दिया था। इसी वजह से जनवरी 2010 में पेश आडिट रिपोर्ट की कापी अब तक महालेखाकार के पास नहीं पहुंच पाई है। संवाद के अधिकारी यह बात समझने को तैयार नहीं है कि उनकी इस गतिविधि के चलते पूरे हिन्दुस्तान में डा. रमन सिंह की बदनामी निकम्मे मुख्यमंत्री के रुप में हो सकती है। संवाद की जिम्मेदारी खुद डा. सिंह ने ले रखी है ऐसी स्थिति में कोई बड़े घपले की बात सामने आती है तो यह केवल मुख्यमंत्री के बदनामी की बात नहीं होगी इसका नुकसान भारतीय जनता पार्टी को भी झेलना पड़ेगा। अब तक के रिकार्ड के मुताबिक राय शासन घपलेबाज अफसरों पर मेहरबान रही है। ऐसी स्थिति में संवाद के अधिकारी अपने आप को खतरे से बाहर मानकर चल रहे हों, यह भी हो सकता है। लेकिन उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि अब तक घपले दूसरे विभागों के रहे हैं। सोचने वाली बात यह भी है कि साफ सुथरे छवि के लिए देशभर में पहचान रखने वाले मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा को मिट्टी में मिलाने जैसी कोई बात सामने आएगी तो डा. रमन सिंह किस प्रकार कोई मेहरबानी कर पाएंगे।
खबर मिली है कि श्री बैजेन्द्र कुमार इस बात के लिए जांच समिति बनाने वाले हैं कि आडिट में किए गए घपले की खबर संवाद की दीवारों के बाहर कैसे गई। मतलब अब सरकारी खजाने में सेंध मारने वाले यह पता करना चाहते हैं कि कौन उनके कुकर्मों के लिए उन्हें जेल भेजवाने की इच्छा रखता है। इस 100 करोड़ के घोटाले के मुख्य सूत्रधार हैं संविदा कर्मचार को बताया जा रहा है। अब आडिट रिपोर्ट देखकर पता चलता है कि करोड़ों के मुख्य सूत्रधारों में एक नाम उसका भी है। श्री सांची और श्री पात्र को 2002 में भर्ती हुई गड़बड़ी और आरक्षण नियमों का पालन नहीं होने के कारण नौकरी से बाहर कर दिया गया था। लेकिन दोनों कर्मचारियों को रातों रात बिना भर्ती प्रक्रिया के नौकरी पर रख लिया गया जिससे उनकी हेराफेरी में सहयोग मिलता रह सके। ऑडिट आपत्तियां फिल्म, प्रकाशन, विज्ञापन, रोजगार नियोजन और लेखा सभी विभागों के कामों को लेकर की गई हैं।

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