वैसे तो अपने नए-नए फरमान को लेकर छत्तीसगढ़ के अखबार मालिक हमेशा ही सुर्खियों में रहे हैं। हरिभूमि ने हर शनिवार को अपने कर्मचारी पत्रकारों व फोटोग्राफरों के ही लिए फरमान जारी किया है कि वे इस दिन सफेद टी-शर्ट जिसमें हरिभूमि लिखा हो ही पहना करें। पत्रिका ने भी कोशिश की कि ग्रेजुएट ही रखेंगे लेकिन दोनों फेल हो गए अब भास्कर ने अपने कर्मचारियों, पत्रकारों और फोटोग्राफरों को नया फरमान जारी किया है कि वे अपनी वाहन में प्रेस नहीं लिखेंगे।
हालांकि भास्कर का यह फरमान अच्छी शुरुआत है। जब दूधवाले, धोबी या प्रिटिंग प्रेस वाले भी अपने वाहनों में प्रेस लिखा रहे हो तो इसके दुरुपयोग को लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है। लेकिन इस फरमान को लेकर यहां बेहद असंतोष है। अब नौकरी करनी हो तो मालिक-संपादकों के फरमान मानने ही पड़ेंगे। इसके एवज में भले ही झंझट हो या कोई भुगते मालिक को क्या फर्क पड़ता है। देखना यह है कि यह फरमान कितने दिनों तक चलता है।जनसंपर्क सचिव का डर...
मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले एन बैजेन्द्र कुमार को यह डर हमेशा ही सताता रहता है कि कहीं जनसंपर्क में बैठे वर्तमान चंडाल चौकड़ी कहीं कुछ ऐसा वैसा न कर दें जिससे जवाब देना मुश्किल हो जाए। पहले ही घपलेबाजी यहां कम नहीं हुई है उसकी लीपापोती में पसीने छूट गए है अब फोटोग्राफरों की नियुक्ति को लेकर स्वराज दास की भूमिका पर सवाल उठ रहे है। कुरैटी के कारनामों की चर्चा भी कम नहीं है। दिक्कत ये है कि छोटे कर्मचारी इन चंडाल चौकड़ी से अलग दुखी है और अपने से होशियार को कोई पसंद नहीं करता तो हाशिये पर रखना मजबूरी है।
नवभारत और नार्को...
नवभारत ने बैंक घोटाले में लिप्त सिंहा के नार्कों टेस्ट की सीडी होने का दावा कर स्टोरी लगा दिया और कह दिया कि जिसे देखना है वे दफ्तर आ जाए। दफ्तर आने वालों को निराशा लगी और ये लोग दावा कर रहे हैं कि अब तक सेटिंग से दूर की ईमेज बनाने वाले नवभारत के रंगा-बिल्ला ने सेटिंग कर ली है। इस खबर से रंगा-बिल्ला को दस लाख मिला हो या नहीं ये तो रंगा-बिल्ला जाने लेकिन सीडी की क्लिपिंग लाने वाले रमेश बैस के करीबी पत्रकार दुखी हैं? उनका दुख दूसरे से सेटिंग की है या सीडी नहीं मिल पाने का यह तो वही जाने लेकिन दुष्प्रचार में यही सबसे आगे है।
और अंत में...
पत्रिका और नेशनल लुक की सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि भास्कर के द्वारा इनके हॉकर खरीद लिए जाते हैं। अब यह भास्कर कर रहा है या नवभारत इसे लेकर आम चर्चा है। क्योंकि इस लड़ाई में नवभारत के मजे हैं।
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