मंगलवार, 9 नवंबर 2010

गजब हैं गृहमंत्री

  छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ननकीराम कंवर पूरे देश में मिसाल कायम कर रहे हैं। ऐसे गृहमंत्री को पाकर छत्तीसगढ़ के लोग खुश हैं। अपनी ईमानदारी का डंका बजा चुके गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने निजी स्क्वाड से अपराधियों में दहशत है। यही वजह है कि उन्हें पूरे देश का सर्वश्रेष्ठ गृहमंत्री माना जा रहा है। सरकार को भी चाहिए कि जिस तरह से गुजरात मॉडल और हैदराबाद को मॉडल बनाकर भ्रमण यात्रा किया जाता है उसी तरह से देश के दूसरे रायों के गृहमंत्रियों को भी बुलाया जाना चाहिए ताकि वे भी देख सकें कि किस तरह से गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने छत्तीसगढ़ में एक नया मिसाल कायम किया है।
गृहमंत्री ननकीराम कंवर के इस कार्यशैली से सबसे यादा दुखी डीजीपी विश्वरंजन जी है क्योंकि गृहमंत्री की ईमानदारी से वे परेशान है। परेशानी की प्रमुख वजह नक्सलियों के खिलाफ केन्द्र से आने वाली बड़ी रकम को माना जा रहा है। अब इसका बंदरबांट ठीक से न हो तो लड़ाई तो छिड़नी है। गृहमंत्री सिर्फ विश्वरंजन के पीछे ही नहीं पड़े हैं उन्होंने एसपी को निकम्मा और कलेक्टर को दलाल कहकर अपनी साफ गोई का परिचय दिया है। है किसी गृहमंत्री में दम जो इतनी बड़ी बात कह दे न किसी गृहमंत्री में ये दम है कि वह विधानसभा में सरकार की खिंचाई करते हुए कह दें कि शराब माफिया थाने चला रहे हैं। इतना सब कुछ देखते-सुनते कोई गृहमंत्री कैसे थानों पर भरोसा करे इसलिए तो वे अपना निजी स्क्वाड बना रखे हैं। आम आदमी को न्याय दिलाने के लिए?
अब थानों की कमाई बंद हो गई है। ढाबों में शराबखोरी तो छोड़िए अवैध शराब बेचने वाले भी भाग लिए है और थानों को सट्टा-जुआ या अपराधियों से मोटी रकम नहीं मिल रही है। इसलिए सब साजिश के तहत निजी स्क्वाड के पीछे पड़ गए हैं। आखिर प्रदेश को अपराध मुक्त करना हो तो अवैध रुप से पैसा कमाने वाले पुलिस पर अंकुश जरूरी है इसलिए निजी स्क्वाड खड़ा किया गया है। अपराधियों को पकड़ों तो दो चार दिन में वह छूट जाता है क्योंकि लातों के भूत बातों से नहीं मानते इसलिए पिटाई जरूर है।
निजी स्क्वाड की ईमानदारी से थाने से लेकर अपराधियों के होश उड़े हुए है इसलिए भी साजिश रच कर उन्हें बदनाम किया जा रहा है। चूंकि मुख्यमंत्री डा. साहब भी जानते हैं कि गृहमंत्री ईमानदार है और वे गलत नहीं करेंगे। इसलिए वे भी निजी स्क्वाड की शिकायतों को तवाों नहीं दे रहे हैं। गृहमंत्री की एक और आदत है वे जिस काम का बीड़ा उठाते हैं उसे पूरा करके ही दम लेते हैं अब देखिए डेढ़ साल हो गया दमदार मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के भाई कैलाश अग्रवाल का कबाड़ खरीदने का धंधा बंद हुए। है किसी में हिम्मत जो चालू करवा दे। अब दूसरे नए लोग धंधा कर रहे है। गृहमंत्री को पता नहीं है। पता चलेगा तो उनकी भी शामत आएगी। आखिर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी।

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