शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

मेरी मर्जी...

कमल बिहार को लेकर जिद पर अड़े नगरीय निकाय मंत्री राजेश मूनत की एक और नई जिद से भले ही मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को कोई फर्क न पड़े लेकिन न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत पर यही किसी कुठाराघात से कम नहीं है।

अपनी बद जुबान को लेकर विधानसभा से लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में चर्चित नगरीय निकाय मंत्री राजेश मूनत के बारे में अब यह आम चर्चा हो चल रही है कि वे अपनी मर्जी के मालिक हैं। यदि उन्हें कोई बात जंच गई तो उसे वे पूरा करने की हर संभव कोशिश में लग जाते हैं। इससे चाहे नियम कानून की अनदेखी हो या फिर पार्टी को भी शर्मिदगी क्यों न उठाना पड़े।

दरअसल तरुन चटर्जी को हटाकर मंत्री पद पाने वाले राजेश मूनत के सामने सबसे बड़ी दिक्कत उनके प्रतिद्वंदी बृजमोहन अग्रवाल हैं और उनसे आगे बढ़ने की होड़ की वजह से ही अंधेरगर्दी की इबादत लिखी जा रही है।

कमल बिहार योजना को पूरा करने की जिद में उनका बृजमोहन अग्रवाल जैसे वरिष्ठ मंत्री से भिडंत जग जाहिर है इसके बाद अब वे खमतराई स्थित छठवा तालाब में नियम कानून को ताक पर रखकर सामूदायिक भवन बनाने जिद पर उतर आये हैं। और लोगो के विरोध के बाद भी सामूदायिक भवन के निर्मान के लिए भूमिपूजन भी उन्होंने कर दिया।

एक तरफ सरकार सरोवर हमारी धरोवर का नारा लगाते नहीं थकती दूसरी ओर सामूदायिक भवन बनाकर तालाब को नष्ट करने की कोशिश हो रही है। गिरते जल स्तर और नष्ट होते तालाब ने पर्यावरन संतुलन को बिगाड़ दिया है। एक तरफ सरकार तालाबों को कब्ज़ा मुक्त करने व उसके सौंदर्यीकरन की कोशिश करने में लगा है दूसरी ओर तालाब में सामुदायिक भवन निर्मान की जिद से लोग हतप्रभ है।

कभी रायपुर में सौ से उपर तालाब हुआ करते थे लेकिन नेताओं और अधिकारीयों की मिलीभगत ने तालाबों की इस नगरी का सत्यानाश करने में कोई कसर बाकी नहीं रखा जिसका दुष्परिनाम आम लोगों को ही अप्रैल माह में ही 40 के तापमान के साथ भुगतना पड़ रहा है। जल स्तर गिरने से शहर वासियों को पानी की तकलीज़ें से गुजरना भी पड़ रहा है।

सामूदायिक भवन निर्मान का सबसे दुखद पहलू यह भी है कि इसके निर्मान के लिए नगर निगम एवं टाउन एंड कट्री प्लानिंग से नक़्शे की स्वीकृति भी नही ली गई। नियमों का हवाला देकर अवैध प्लाटिंग पर बुलडोजर चलाने वाले मंत्री की सामूदायिक भवन निर्मान में नियमों की अनदेखी आश्चर्यजनक है।

इस शहर के पुराने वाशिंदों का कहना है कि रजबंधा तालाब हो या फिर लेंडी तालाब सभी में राजनेताओं और नौकरशाहों की जिद चली और बेदर्दी से तालाब पाट दिये गए। नेताओं की जिद की वजह से ही तालाबो पर कब्जे हुए हैं और शहर वासियों को भीषन गर्मी व पीने की पानी के लिए भुगतना पड़ रहा है।

नेताओं की इस तरह की अंधेर गर्दी आखिर कब तक चलेगी। हर बात को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर मनमानी करने की प्रवृति के कारन ही प्रदेश भर में विकराल स्थिति उत्पन्न हो गई है। ऐसे अंधेर गर्दी के खिलाफ लड़ाई कौन लड़े।

हालांकि खमतराई के इस छठवा तालाब पर चल रहे अंधेरगर्दी के खिलाफ यहां के पार्षद डॉ. पूर्ण प्रकाश झा ने मोर्चा खोल दिया है और अब जरुरत जनसमर्थन का है हालांकि आमापारा तालाब को पाटने की कोशिश हो रही है और शहर भर से कचरा तालाब में डाला जा रहा है। तेलीबांधा तालाब का एक हिस्सा गौरवपथ का भेंट चढ़ रहा है लेकिन शहर में पर्यावरन की दुहाई देकर अपना फोटो छपवाने वाले गायब हैं।

देखना है कि खमतराई तालाब के इस मामले में पर्यावरन प्रेमी सामने आते हैं या फिर वृक्ष लगाओ फोटो खिचाओ तक ही अपनी जिम्मेदारी समझते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें