.
अभी बालोद नेत्र कांड के बाद अब दुर्ग जिला अस्पताल में भी सात मरीजों की आंख खराब हो गई। ऊपर से तुर्रा यह है कि स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल को इसकी जानकारी तक नहीं थी।
छत्तीसगढ़ में ये क्या हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह तो बेहद सीधे व सरल व्यक्ति हैं। उनमें ईमानदारी कूट-कूट कर भरी है और यही वजह है कि उन्हें ये हो रहे कुकर्मों की जानकारी ही नहीं मिल पाती। नंगा नाच करवा रहे हैं और सौदान सिंह हो या रामप्रताप सिंह उन्हें तो केवल सच्चे मुख्यमंत्री नजर आते हैं जिनके चेहरे सामने रख चुनाव जीता जा सकता है।
खेती की जमीन उद्योगों को देने की बात हो चाहे कितने भी घोटाले हो, बेलगाम अफसरशाही से क्या फर्क पड़ता है चेहरा चुनाव जीतने के लिए है न हमारे पास। शायद इसी सोच के चलते मंत्रियों की विभागीय पकड़ कमजोर हो गई है। कायदे से इस खबर के बाद स्वास्थ मंत्री को तत्काल कड़े निर्णय लेने की हम जरूरत समझते हैं और जांच तो चलते रहती। एक तरफ जब नेत्र दान को लेकर चलाये जा रहे अभियान पर लाखों करोड़ों खर्च किये जा रहे हों तब दूसरी तरफ इस तरह की लापरवाही अक्षम्य है और तत्काल जिला अस्पताल के डाक्टरों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। कार्रवाई इस बात पर भी तत्काल हो सकती है कि इतनी बड़ी घटना की सूचना मंत्री को क्यों नहीं दी गई। सालों से जमें डाक्टरों की स्थिति तालाब के सड़ते पानी की तरह को भी सोचना होगा। स्वास्थ्य मंत्री यह कहकर बच नहीं सकते कि उन्हें जानकारी नहीं है। जब जानकारी मिली तब वे क्या कर रहे हैं। बालोद नेत्र कांड की जानकारी भी तो उन्हें मिली थी तब उन्होंने क्या किया। क्या दोषी डॉक्टरों को बचाने व पैसा खाने का उपक्रम नहीं हुआ है।
मुख्यमंत्री भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। जब किसी मंत्री के विभाग में एक के बाद एक घटना दुहराई जाये तो ऐसे मंत्रियों को क्यों उस विभाग की जिम्मेदारी दी जाए। बल्कि हम तो एक कदम आगे जाकर कहना चाहेंगे कि विभाग पर पकड़ नहीं रखने वाले मंत्रियों को हटा दिया जाना चाहिए।
बालोद नेत्र शिविर में 48 मरीजों की आंखे खराब होने के बाद दुर्ग जिला चिकित्सालय में 7 मरीजों की आंखे खराब हो गई। यह खबर किस तरह भयावह है इसे सोचकर रुह कांप जायें पर स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल का कहना है कि जांच की जायेगी फिर दोषियों पर कार्रवाई होगी।
छत्तीसगढ़ में इन दिनों यहीं हो रहा है। अधिकारी से लेकर मंत्री तक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, सबके विभाग में जांच चल रही है और परिणाम आने पर ही कार्रवाई होगी। तब तक सभी को खामोश रहने की जरूरत है। यदि सरकार चुन कर आई है तो उस पर इतना भरोसा तो किया ही जाना चाहिए कि जांच के बाद कार्रवाई जरूर होगी।
अभी बालोद नेत्र कांड के बाद अब दुर्ग जिला अस्पताल में भी सात मरीजों की आंख खराब हो गई। ऊपर से तुर्रा यह है कि स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल को इसकी जानकारी तक नहीं थी।
छत्तीसगढ़ में ये क्या हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह तो बेहद सीधे व सरल व्यक्ति हैं। उनमें ईमानदारी कूट-कूट कर भरी है और यही वजह है कि उन्हें ये हो रहे कुकर्मों की जानकारी ही नहीं मिल पाती। नंगा नाच करवा रहे हैं और सौदान सिंह हो या रामप्रताप सिंह उन्हें तो केवल सच्चे मुख्यमंत्री नजर आते हैं जिनके चेहरे सामने रख चुनाव जीता जा सकता है।
खेती की जमीन उद्योगों को देने की बात हो चाहे कितने भी घोटाले हो, बेलगाम अफसरशाही से क्या फर्क पड़ता है चेहरा चुनाव जीतने के लिए है न हमारे पास। शायद इसी सोच के चलते मंत्रियों की विभागीय पकड़ कमजोर हो गई है। कायदे से इस खबर के बाद स्वास्थ मंत्री को तत्काल कड़े निर्णय लेने की हम जरूरत समझते हैं और जांच तो चलते रहती। एक तरफ जब नेत्र दान को लेकर चलाये जा रहे अभियान पर लाखों करोड़ों खर्च किये जा रहे हों तब दूसरी तरफ इस तरह की लापरवाही अक्षम्य है और तत्काल जिला अस्पताल के डाक्टरों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। कार्रवाई इस बात पर भी तत्काल हो सकती है कि इतनी बड़ी घटना की सूचना मंत्री को क्यों नहीं दी गई। सालों से जमें डाक्टरों की स्थिति तालाब के सड़ते पानी की तरह को भी सोचना होगा। स्वास्थ्य मंत्री यह कहकर बच नहीं सकते कि उन्हें जानकारी नहीं है। जब जानकारी मिली तब वे क्या कर रहे हैं। बालोद नेत्र कांड की जानकारी भी तो उन्हें मिली थी तब उन्होंने क्या किया। क्या दोषी डॉक्टरों को बचाने व पैसा खाने का उपक्रम नहीं हुआ है।
मुख्यमंत्री भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। जब किसी मंत्री के विभाग में एक के बाद एक घटना दुहराई जाये तो ऐसे मंत्रियों को क्यों उस विभाग की जिम्मेदारी दी जाए। बल्कि हम तो एक कदम आगे जाकर कहना चाहेंगे कि विभाग पर पकड़ नहीं रखने वाले मंत्रियों को हटा दिया जाना चाहिए।
बालोद नेत्र शिविर में 48 मरीजों की आंखे खराब होने के बाद दुर्ग जिला चिकित्सालय में 7 मरीजों की आंखे खराब हो गई। यह खबर किस तरह भयावह है इसे सोचकर रुह कांप जायें पर स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल का कहना है कि जांच की जायेगी फिर दोषियों पर कार्रवाई होगी।
छत्तीसगढ़ में इन दिनों यहीं हो रहा है। अधिकारी से लेकर मंत्री तक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, सबके विभाग में जांच चल रही है और परिणाम आने पर ही कार्रवाई होगी। तब तक सभी को खामोश रहने की जरूरत है। यदि सरकार चुन कर आई है तो उस पर इतना भरोसा तो किया ही जाना चाहिए कि जांच के बाद कार्रवाई जरूर होगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें