.यह तो अपनी पीठ थपथपाने नहीं तो और क्या है । राजधानी सहित पूरे प्रदेश में बलात्कार हत्या लूट चोरी सहित अन्य अपराध बढ़े हैं । पुलिस वाले जगह-जगह पिटे जा रहे हैं । राजेश शर्मा, डॉ. बाठियां, मन्नू नत्थानी से लेकर कितने ही अपराधी पुलिस की पकड़ से दूर है । थानों में लूट की जगह चोरी की रपट लिखी जा रही है । बलात्कार पीडि़त की रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही है । जुआ-सट्टा और छेडख़ानी से आम आदमी परेशान है? नक्सलियों की समानांतर सरकार चल रही है लेकिन पुलिस अपनी उपलब्धि बताने में लगी है ।
डीजीपी से लेकर पुलिस कप्तानों में होड़ मची है । कि नाकाम्याबी इस प्रचार के धुंध में दब जाये । और पूरे छत्तीसगढ़ पुलिस का यही रवैया है । अचानक पकड़ में आये मामले पर इतना हाय तौबा मचाया जा रहा है कि असफलता व पुलिसिया अत्याचार को लोग भूल जाये ।
यह सच है कि राजधानी में राजनैतिक दबाव पुलिस को झेलने पड़ रहे हैं । इसके अलावा बल की कमी और वीआईपी ड्यूटी से थानों में विवेचना का काम प्रभावित हुआ है लेकिन यह भी उतना ही बड़ा सच है कि पुलिस की छवि वसूली बाज के रूप में सामने आई है । इन दिनों पूरे प्रदेश भर में अपनी काम्याबी के झंडे गाडऩे का दौर चल रहा है । राÓय सरकार से लेकर महापौर तक अपनी उपलब्धियों गिनाते नहीं थक रहे हें ऐसे में भला चार साल से राजधानी की कप्तानी संभाल रहे एस एस पी दीपांशु काबंरा भी कहां चुकने वाले थे । इसलिए वे भी अपने जिले की पुलिसिया उपलब्धि बताने में जुट गए । जैसे की अक्सर होता है यदि किसी झूठ को बार-बार बोला जाये तो वह सच लगने लगता है । यही हाल छत्तीसगढ़ पुलिस का है ।
अचानक बिल्ली के भाग से छींका टूर जाये तो उसे इतना प्रचारित करो कि असफलता भूल जाये अपराधियों के पहुंच के आगे अधिकारी नतमस्तक हैं और माफिया राज जैसी स्थिति बनने लगी है ।
जिस क्राईम ब्रांच की काम्याबी के कसीदे गड़े जा रहे हैं उस पर तो गृहमंत्री तक को भरोसा नहीं है । राजधानी का ऐसा कोई मोहल्ला नहीं है जहां अवैध शराब नहीं बिक रहे है । जुआ-सट्टा खुले आम चल रहा है । अपराध की इस पहली सीढी की कमाई से ही पुलिस के कई थाने चल रहे है ।
अवैध शराब पकडऩे और उसके विवेचना में पुलिस फिसड्डी साबित हुई है । अवैध शराब के मामले जरूर पकड़े गए लेकिन अवैध शराब कहां से आया इसका खुलासा कभी नहीं हुआ और यही आकर पुलिस का सारा कस बल समाप्त हो जाता है कहा जाय तो गलत नहीं होगा ।
ठेकेदारों से मिली भगत का यह खेल बदस्तुर जारी है चाहे अपने को कितना ही तुर्रभटवां बताने वाले पुलिस कप्तान आये लेकिन किसी अवैध शराब को सोर्स को नहीं हुआ । न ही शराब के खिलाफ खड़े होने वाले मंत्री व विधायकों ने ही कभी किसी पुलिस कप्तान से नहीं पूछा कि आखिर वे अवैध शराब सप्लाई करने वालों को क्यों नहीं पकड़ रहे है ।
चलते चलते...
स्मार्ट कार्ड मामले में सरकार को चुना लगाने वाले डॉ. बाठियां इन दिनों पुलिस पकड़ से बाहर हैं तो इसकी वजह पुलिस की असफलता नहीं बल्कि एक अफसर की उपलब्धि है जिसके दबाव के आगे बाकी बेबस है ।
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