अब तो सब तरफ लोग एक ही बात बोल रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में सरकार नाम की चीज हीन ही है । लचर कानून व्यवस्था, बढ़ते अपराध,प्रशासनिक आतंकवाद ने यहां जिसकी लाठी उसकी भैस के कहावत को ही चरितार्थ किया है । पहले कोयला घोटाला, ने जहां छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर शर्मसार किया था अब आदिवासी मासूम ब"ाों के साथ बलात्कार की घटना से छत्तीसगढ़ एक बार फिर शर्मसार हुआ है । सरकार के द्वारा भ्रष्टाचारियों और अपराधियों को सीधे संरक्षण मिलने की वजह से अवांछनीय तत्तों के जहां हौसले बुलंद हुए हैं वहीं आम लोगों का जीना दूभर होता जा रहा है ।
छत्तीसगढ़ में अपने 9 साल पूरा कर चुकी रमन सरकार का पूरा ध्यान इन दिनों हैट्रिक की है लेकिन यह रास्ता आसान नहीं है । इसकी वजह सरकार की वह कार्यशैली है जिसकी वजह से न केवल छत्तीसगढ़ को देशभर में शर्मनाक स्थिति से गुजरना पड़ रहा है बल्कि आम लोग सरकार से त्रस्त हो गए है । सरकार की नीति भले ही तिकड़म बाजी से चुनाव जीतने की हो लेकिन वास्तविकता तो यहीं है कि रमन राज में जहां भ्रष्टाचारियों को खुले आम संरक्षण मिला है । आपराध में बडतेतरी हुई है । उद्योगों की करतूतों पर कार्रवाई की बजाय परदा डाला गया है वहीं चुनाव पूर्व जनता से किये वादे को पूरा करने में भी सरकार पूरी तरफ से असफल रही है । जिस साफ छवि और चावंल योजना के सहारे भाजपा ने पिछला चुनाव जीता था । इस बार इसी साफ छवि पर कोयले की कालिख साफ दिखने लगी है ।
सीएजी की रिपोर्ट में सरकार के हजारों करोड़ों के भ्रष्टाचार ही उजागर नहीं हुए है बल्कि इस बात का भी खुलासा हुआ है कि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों परभी सरकार ने ठोस कार्रवाई नहीं की है ।
अब तो नौकरशाहों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि इस सरकार में जो सबसे Óयादा भ्रष्ट रहेगा उसे ही महत्वपूर्ण पद मिलेंगे । आर्थिक अपराध ब्यूरों ने जिस पैमाने पर भ्रष्ट अफसरों के मामले छापा मारकर सामने लाये हैं । उस मुकाबले में सरकार ने कार्रवाई नहीं की ।
बाबूलाल अग्रवाल का मामला हो या इंजीनियरों का मामला हो । स्वास्थ्य घोटाले का मामला हो या जंगल में व्याप्त भ्रष्टाचार का मामला हो । सरकार ने कभी भी कड़ी कार्रवाई नहीं की ।
सूत्रों का कहना हे कि रमन राज में अपराध बढऩे की एक बड़ी वजह अपराधियों के खिलाफ, भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करना है । सरकार के इस रवैये की वजह से अपराधिक प्रवृति के लोगों में यचह भावना घर कर गई है कि कुछ भ कर लो कार्रवाई तो होनी नहीं है और पैसों के दम पर इस सरकार में कुछ भी किया जा सकता हे । तभी तो बाबूलाल हो या ब्लाक शिक्षा अधिकारी चाडंक सभी महत्वपूर्ण पदों पर हैं। लोगों के गर्भाशय निकालने वाले भी मजे में है तो आंख फोडऩे वालों पर भी कुछ नहीं किया गया । न मन्नू नत्थानी पकड़ा जायेगा न डॉ. बाडियां को पकडऩे की कोशिश ही होगी । राजकुमार नायडू जैसे आरोपियों को पुलिस पकडऩे में दस साल लगा देती है जबकि वह इस दौरान ड्यूटी करता रहा ।
ब्रदी जैसे मिलावट खोरों को बचाने ईमानदार अधिकारियों को प्रताडि़त किया जाता है तो आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले मंत्री न पुलिस अधिकारी का भी कुछ नहीं बिगड़ता जबकि मृत्युपर्व लिखे पत्र में साफ वजह लिखी जाती है । जमीनों पर अवैध कब्जा, जंगल का जंगल साफ करने वाले उद्योगपतियों को बिजली-पानी और यहां तक कि टैक्सों में भी छूट दी जाती है जबकि गांव-गली में अवैध शराब बेचने वाले शराब माफियाओं के साथ गलबहियां की जाती है ।
ऐसे में अपराधिक तत्वों के हौसले बुलंद नहीं होंगे तो क्या होगा ।
चुनाव जीतने के लिए जारी घोषणा पत्र को संकल्प का नाम देने के बाद भी उसे पूरा नहीं किया जाता उपर से संकल्प याद दिलाने वाले किसानों व शिक्षा कर्मियों पर लाठियां भांजी गए तो हालात कहां पहुंच गए है आसानी से समझा जा सकता है ।
आदिवासी आश्रम में ब"िायों से बलात्कार के मामले में लीपा पोती होती है तब भी दिल्ली गैगरैप पर हल्ला मचाने वाली भाजपा खामोश रहती है ।
गरीब आदिवासी छात्राओं से सामूहिक गैंगरेप क े इस Óवंलतशील मामले ने पूरे देश को शर्मशार करते हुये सुर्खियाँ बटोर चुका आदिवासी बाहुल कांकेर जिले में इस घटना के विरोध में सामाजिक संगठन,छात्र-छात्राऐं सडकों पर उतरते हुये रमन सरकार के विरोध में मुखर होते नजर आने लगे है।
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