शनिवार, 16 अगस्त 2025

छत्तीसगढ़ की बेटी श्वेता चौबे आईपीएस ने छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया

 छत्तीसगढ़ की बेटी श्वेता चौबे आईपीएस ने छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया 



झारखंड में शेरनी आईपीएस श्वेता चौबे छत्तीसगढ़ की बेटी है, उन्होंने अपने पिता के पदचिह्नों पर चलकर न केवल छत्तीसगढ़ को गौरान्वित किया बल्कि ऐसा मुक़ाम हासिल किया जो हर आईपीएस का सपना होता है, मूलतः सारंगढ़ की श्वेता चौबे ने साबित कर दिया कि यदि ईमानदारी से कर्तव्य निभाया जाय तो कोई कार्य असंभव नहीं है, श्वेता की माँ पुष्पा चौबे सेमरा परिवार की बेटी है।

आईपीएस श्वेता चौबे की स्मार्ट पुलिसिंग के बारे में कौन नहीं जाता है। वर्तमान में पौडी में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात श्वेता चौबे अपनी विशिष्ठ कार्यशैली के लिए पहचानी जाती है। इससे पहले पुलिस अधीक्षक चमोली के पद पर कार्यरत रही है। कोरोना काल में बतौर एसपी सिटी उनके कार्यकाल की हर किसी ने सराहना की है। देहरादून में लोग आज भी उनको याद करते हैं। इसके अलावा 2021 के महाकुंभ के दौरान उन्होंने जिस तरह से कार्य किया है वह किसी से छिपा नहीं है। एसआइटी में रहते हुए उन्होंने शिक्षक भर्ती घोटाले का भंडाफोड़ किया तो विजिलेंस में रहते हुए बड़े-बड़े भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने का काम किया है। अंकिता भंडारी कांड के बाद पौड़ी जिले के बिगड़ते हालत को देखते हुए उनको पौड़ी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की जिम्मेदारी मिली थी। उनके नेतृत्व में पौड़ी पुलिस ने कई बड़ी सफलता हासिल की है। इस बार के कांवड़ मेले के दौरान नीलकंठ महादेव मंदिर में उमड़ी भीड़ एवं खराब मौसम के बीच वह लगातार पुलिसकर्मियों का उत्साहवर्धन करती रही। 

इससे पहले महिला सुरक्षा के लिए चलाए गए ऑपरेशन पिंक प्रोजेक्ट के लिए आईपीएस श्वेता चौबे स्कोच अवार्ड से सम्मानित। नई दिल्ली में आयोजित समारोह में उन्हें यह सम्मान मिला। चौबे ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौडी गढवाल के कार्यकाल के दौरान कुशल नेतृत्व और उत्कृष्ट कार्य प्रणाली के तहत जनपद में बालिकाओं व महिलाओं की सुरक्षा को गंभीरता से लेते हुए ऑपरेशन पिंक प्रोजेक्ट चलाया गया था। इसके तहत जनपद में वृहद स्तर पर प्रशिक्षण देकर महिला दरोगा व महिला कांस्टेबल को महिला सुरक्षा से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित किया गया। उसके उपरांत उन्हें जनपद के विभिन्न थाना क्षेत्रों में ऑपरेशन पिंक के अन्तर्गत पिंक यूनिट टीम का गठन कर तैनात किया गया। पिंक यूनिट टीम का कार्य अपने थाना क्षेत्रों में पड़ने वाले स्कूल कालेज परिसर के बाहर मौजूद रहकर शान्ति एवं कानून व्यवस्था बनाने, मनचलों, शरारती, अराजक तत्वों पर कड़ी नजर रखने, छात्राओं को गुड टच बैड टच की जानकारी देने, साइबर सुरक्षा, पोक्सो एक्ट व सोशल मीडिया में ट्विटर, इस्टाग्राम, फेसबुक का सुरक्षित उपयोग सम्बन्धी जानकारी देना रहा। स्कूल-कॉलेज, नौकरीपेशा लड़कियों, महिलाओं की सुरक्षा के लिए पिंक यूनिट ने सुरक्षा कवच का काम किया।

दुर्ग जिले में बिता है IPS श्वेता चौबे का बचपन
इसके बाद वे सन 2000 में विशिष्ट पुलिसिंग सेवा के लिए भी राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजे गए थे। आपको बता दें कि श्वेता चौबे का पूरा बचपन छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में ही बीता है और उनका दादिहाल सारंगढ़ है। श्वेता ने सन 2005 में बतौर डीएसपी राज्य पुलिस सेवा में अपने करियर की शुरुआत की थी और अपने दबंग अंदाज के चलते उन्हें धीरे-धीरे पूरे उत्तराखंड में उत्तराखंड की शेरनी के नाम से जाना जाने लगा। सन 2019 में उन्हें आईपीएस अवार्ड हुआ और वे देहरादून में बतौर एसपी पदस्थ हुई, कोरोना काल में बतौर एसपी सिटी उनके कार्यकाल की हर किसी ने सराहना की। इसके अलावा 2021 के महाकुंभ के दौरान उन्होंने जिस तरह से कार्य किया वह किसी से छिपा नहीं है।

श्वेता चौबे ने बताया कि उनके पिता  विजय शंकर चौबे को बचपन से ही उन्होंने पुलिस में सेवा देते हुए देखा है जिसके चलते वे भी बचपन से ही एक बड़ी पुलिस अधिकारी बनना चाहती थी और उनका यह सपना तब पूरा हुआ जब वे उत्तराखंड राज्य पुलिस सेवा में बतौर डीएसपी पदस्त हुईं। श्वेता ने बताया कि इस पुरस्कार के मिलने से वे बहुत खुश हैं लेकिन उससे भी ज्यादा खुशी उन्हें इस बात की है कि वे अपने पिता के पदचिन्हों पर आगे बढ़ रहीं है और आगे भी इसी तरह वो अपने पिता के आदर्शों के साथ ईमानदारी से पुलिस विभाग में अपनी सेवाएं देती रहेंगी।

श्वेता चौबे के पिता विजय शंकर चौबे दो बार राष्ट्रपति पदक से सम्मानित हुए पहली बार १९८७ और दूसरी बार २००० में। 

मूलतः सारंगढ़ के रहने वाले श्री चौबे का ससुराल सेमरा परिवार है, श्वेता चौबे की माँ पुष्पा चौबे सेमरा परिवार की बेटी है ।

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