शनिवार, 11 सितंबर 2010

गडकरी की रवानगी की खुशी

छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रियों ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गडकरी की रवानगी पर बेहद खुश है। खुशी इसलिए नहीं है कि भाजपा अध्यक्ष ने सरकार को ताज पहनाया। खुशी इस बात की ज्यादा रही कि इस बार सरकार की शिकायत करने वालों को किनारे किया गया। यह अलग बात है कि सरकार के कारनामों से नाराज लोगों ने यह सोचकर चुप्पी ओढ़ ली कि शिकायतों से कुछ होता तो है नहीं उल्टे उन्हें ही फटकार मिलती है।
नीतिन गडकरी का दो दिनी प्रवास से पूरी रमन सरकार मानसिक ही नहीं शारीरिक रुप से थक गई थी। स्वागत, जी हुजूरी, चापलूसी से लेकर नाराज लोगों को दूर रखने के तिकड़म के अलावा धक्का मुक्की गाली गलौज और मारपीट ने सरकार को पूरी तरह थका दिया था। आम कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय अध्यक्ष से दूर रखा था सो उन्हें भी खुश करना था। इसलिए सरकार की तरफ से किसी ने पांच सितारा संस्कृति के आर के मॉल को बुक कर दिया। लजीज खाना खाओ और फिल्म देखो। कार्यकर्ताओं को और क्या चाहिए सारे गिले शिकवे खाना और फिल्म ने निकाल दी। बचा खुचा गुस्सा रमन व उनके मंत्रियों के साथ बैठते ही फुर्र हो गया।
अब यह अलग बात है कि डॉ. रमन के पास पीपली लाईव पूरी देखने का समय नहीं रहा या बृजमोहन अग्रवाल को केवल औपचारिकता निभानी हो। बड़े लोग है कार्यकर्ताओं को आधा घंटा से ज्यादा समय कैसे दे सकते है। भले ही गडकरी के खुशामद में दो दिन गुजर जाए। बहरहाल थकान दूर करने के बहाने आम लोगों की नाराजगी दूर करने का यह फार्मूला कारगर है क्योंकि साथ खाना खाने व फिल्म देखने का मायाजाल काम कर गया।

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