शशिमोहन के बाद सौमित्र प्रताडि़त
घपलेबाजों के दबाव में हुुआ चौबे का तबादला
छत्तीसगढ़ में रमन सरकार के सुराज की कलई खुलने लगी है । चौतरफा भ्रष्टाचार और प्रशासनिक आतंक का यह आलम है कि ईमानदार माने जाने वाले अधिकारियें को प्रताडि़त किया जा रहा है तो बेईमान व भ्रष्ट अधिकारियों को रिटार्यटमेंट के बाद भी संविदा देकर गले लगाया जा रहा है । हालत यह है कि आर्थिक अपराध ब्यूरों की कार्रवाई के बाद भी अफसर अपने पदों पर बैठे हुए है और ईमानदार माने जाने वाले लोग उपेक्षा का शिकार हो रहे है ।
एक तरफ तो रमन सरकार हैट्रिक की तैयारी में लगी है और वह कोयले की कालिख पूते चेहरों के साथ हैट्रिक का सफर कैसे तय करेगी । यह भी अब सामने आने लगा है । एक तरफ तो तहसीलदार पुलक भट्टाचार्य जैसे अधिकारी को तबादले के चार माह के भीतर ही वापस राजधानी ले आती है तो दूसरी तरफ सौमित्र चौबे जैसे अधिकारी का तबादला सिर्फ इसलिए किया जाता है क्योंकि वह बड़े-बड़े घपलेबाजों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं ।
ज्ञात हो कि सौमित्र चौबे ने हाल ही में राजधानी में मंत्रियों के नजदीक माने जाने वाले कई बड़े घपलेबाजों के खिलाफ कार्रवाई की थी । इसमें से फर्जी गैस सिलेन्डर मामले में हुई कार्रवाई से एक मंत्री की खूब किरकिरी हो रही है । बताया जाता है फरार तापडिय़ा का एक मंत्री और एक निगम के अध्यक्ष से नजदीकी संबंध रहे हैं और इस तापडिय़ा द्वारा इनके चुनाव से लेकर दूसरे कार्यक्रमों के लिए चंदे के रूप में मोटी रकम भी दिया जाता था । बताया जाता है कि तभी से सौमित्र चौबे को हटाने की कोशिश हुई थी लेकिन हल्ला मचने के डर से कार्रवाई नहीं हुई ।
इसके बाद सौमित्र चौबे ने निको द्वारा पेट्रोल पम्प से घपले बाजी कर डीजल भरवाने के मामले का खुलासा किया तो औघोगिक क्षेत्र में हड़कम्प मच गया ।
बताया जाता है कि कई उद्योग डीजल के खेल में लिप्त हैं और दूसरी सूचना चौबे तक पहुंचने लगी थी । चौबे के इस कार्रवाई से उद्योगों में हड़कम्प मच गया और चौबे को हटाने दबाव बढऩे लगा था लेकिन सरकार भी कोई हंगामा नहीं चाहती थी इसलिए चौबे का तबादला जानबुझकर तबादला सूची में शामिलल कर किया गया ताकि हंगामा न मचे ।
ऐसा नहीं है कि घपले बाजों के दबाव में सरकार या उसके मंत्रियों की यह पहली करतूत है इससे पहले भी दर्जन भर ऐसे मामले सामने आये है जब रमन सरकार ने सुराज के नाम पर घपलेबाजों के दबाव में ईमानदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है । जिसमें आई एएस पी सुन्दरराज के अलावा रायपुर सीएसपी शशिमोहन सिंह शामिल हैं ।
शशिमोहन सिंह का मामला तो राजधानी में आज तक चर्चा में है । शशिमोहन सिंह को सिर्फ इसलिए प्रताडि़त खोर बद्री के खिलाफ कार्रवाई की थी । ये बद्री भाजपा में न केवल दमदार माना जाता है बल्कि इसके इशारे पर मंत्री भी नाचते हैं ।
बताया जाता है कि सरकार के सूराज के इस नये परिभाषा की राजधानी दी नहीं पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय है । और कोई आश्चर्य नहीं कि इस बार के चुनाव में भ्रष्टाचार कोयले की कालिख, मंत्रियों की करतूतों के अलावा ईमानदार अफसरों की प्रताडऩा भी मुद्दा बने । बाहरहाल शशिमोहन सिंह के बाद सौमित्र चौबे को प्रताडि़त करने का मामला राजधानी में चर्चा का विषय है जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ सकता है ।
घपलेबाजों के दबाव में हुुआ चौबे का तबादला
छत्तीसगढ़ में रमन सरकार के सुराज की कलई खुलने लगी है । चौतरफा भ्रष्टाचार और प्रशासनिक आतंक का यह आलम है कि ईमानदार माने जाने वाले अधिकारियें को प्रताडि़त किया जा रहा है तो बेईमान व भ्रष्ट अधिकारियों को रिटार्यटमेंट के बाद भी संविदा देकर गले लगाया जा रहा है । हालत यह है कि आर्थिक अपराध ब्यूरों की कार्रवाई के बाद भी अफसर अपने पदों पर बैठे हुए है और ईमानदार माने जाने वाले लोग उपेक्षा का शिकार हो रहे है ।
एक तरफ तो रमन सरकार हैट्रिक की तैयारी में लगी है और वह कोयले की कालिख पूते चेहरों के साथ हैट्रिक का सफर कैसे तय करेगी । यह भी अब सामने आने लगा है । एक तरफ तो तहसीलदार पुलक भट्टाचार्य जैसे अधिकारी को तबादले के चार माह के भीतर ही वापस राजधानी ले आती है तो दूसरी तरफ सौमित्र चौबे जैसे अधिकारी का तबादला सिर्फ इसलिए किया जाता है क्योंकि वह बड़े-बड़े घपलेबाजों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं ।
ज्ञात हो कि सौमित्र चौबे ने हाल ही में राजधानी में मंत्रियों के नजदीक माने जाने वाले कई बड़े घपलेबाजों के खिलाफ कार्रवाई की थी । इसमें से फर्जी गैस सिलेन्डर मामले में हुई कार्रवाई से एक मंत्री की खूब किरकिरी हो रही है । बताया जाता है फरार तापडिय़ा का एक मंत्री और एक निगम के अध्यक्ष से नजदीकी संबंध रहे हैं और इस तापडिय़ा द्वारा इनके चुनाव से लेकर दूसरे कार्यक्रमों के लिए चंदे के रूप में मोटी रकम भी दिया जाता था । बताया जाता है कि तभी से सौमित्र चौबे को हटाने की कोशिश हुई थी लेकिन हल्ला मचने के डर से कार्रवाई नहीं हुई ।
इसके बाद सौमित्र चौबे ने निको द्वारा पेट्रोल पम्प से घपले बाजी कर डीजल भरवाने के मामले का खुलासा किया तो औघोगिक क्षेत्र में हड़कम्प मच गया ।
बताया जाता है कि कई उद्योग डीजल के खेल में लिप्त हैं और दूसरी सूचना चौबे तक पहुंचने लगी थी । चौबे के इस कार्रवाई से उद्योगों में हड़कम्प मच गया और चौबे को हटाने दबाव बढऩे लगा था लेकिन सरकार भी कोई हंगामा नहीं चाहती थी इसलिए चौबे का तबादला जानबुझकर तबादला सूची में शामिलल कर किया गया ताकि हंगामा न मचे ।
ऐसा नहीं है कि घपले बाजों के दबाव में सरकार या उसके मंत्रियों की यह पहली करतूत है इससे पहले भी दर्जन भर ऐसे मामले सामने आये है जब रमन सरकार ने सुराज के नाम पर घपलेबाजों के दबाव में ईमानदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है । जिसमें आई एएस पी सुन्दरराज के अलावा रायपुर सीएसपी शशिमोहन सिंह शामिल हैं ।
शशिमोहन सिंह का मामला तो राजधानी में आज तक चर्चा में है । शशिमोहन सिंह को सिर्फ इसलिए प्रताडि़त खोर बद्री के खिलाफ कार्रवाई की थी । ये बद्री भाजपा में न केवल दमदार माना जाता है बल्कि इसके इशारे पर मंत्री भी नाचते हैं ।
बताया जाता है कि सरकार के सूराज के इस नये परिभाषा की राजधानी दी नहीं पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय है । और कोई आश्चर्य नहीं कि इस बार के चुनाव में भ्रष्टाचार कोयले की कालिख, मंत्रियों की करतूतों के अलावा ईमानदार अफसरों की प्रताडऩा भी मुद्दा बने । बाहरहाल शशिमोहन सिंह के बाद सौमित्र चौबे को प्रताडि़त करने का मामला राजधानी में चर्चा का विषय है जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ सकता है ।
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