मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

गांव वालों का खाता खुलवाने वालों के खिलाफ 420 क्यों नहीं!


आयकर विभाग द्वारा आईएएस बाबूलाल अग्रवाल व उनके सीए सुनील अग्रवाल के यहां छापे की कार्रवाई के दौरान बरामद 220 फर्जी बैंक खाते बनाने वालों के खिलाफ सरकार का रवैया अब तक नरम है यही वजह है कि फर्जी बैंक खाता बनाने के मामले में अभी तक 420 का जुर्म दर्ज नहीं किया गया है।
हालांकि आयकर विभाग इस मामले की जांच कर ही रही है लेकिन खरोरा क्षेत्र के ग्रामीणों ने जब बैंक में अपने खाते नहीं खुलवाने की बात सार्वजनिक कर दी है तब सरकार को एक कदम आगे आकर ऐसे फर्जी खातों के खिलाफ न केवल कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए बल्कि मामला तत्काल पुलिस को देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि आयकर विभाग की टीम ने सीए के हवाले से इसे बाबूलाल अग्रवाल की करस्तानी बताया है हालांकि सीए ने इसे आयकर विभाग द्वारा दबाव डालकर लिखवाने की बात कही है लेकिन इन गांव वालों के जिस प्रकार से बैंक खाते खुले है उससे यह मामला गंभीर है और सरकार सच में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना चाहती है तो उसे या तो मामला पुलिस को सौंपना चाहिए या फिर सीबीआई को सौंपना चाहिए। लेकिन छापे की कार्रवाई और इस मामले के खुलासे को दो हफ्ते से ज्यादा बीत गए है लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं किया जाना अनेक संदेहों को जन्म देता है।
सरकार के कार्रवाई के नाम पर बाबूलाल अग्रवाल को निलंबित कर मामला आर्थिक अपराध ब्यूरों को सौंपा है लेकिन जिस तरह से संपत्ति उजागर हुई है उसके बाद सरकार को न केवल कड़े रुख अख्तियार करना चाहिए बल्कि इस सम्पूर्ण मामले की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए। बहरहाल 220 फर्जी खाते के मामले में सरकार के रवैये को लेकर कई तरह की चर्चा है और चर्चा में भ्रष्टाचारियों को सरकार का संरक्षण देने की बात कही जा रही है तो यह साफ सुथरी छवि के लिए विख्यात डॉ. रमन सिंह के लिए उचित नहीं है।

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