रविवार, 8 सितंबर 2024

मोदी की मनमानी पीएम-श्री का पुलिंदा...



 मोदी की मनमानी 

पीएम-श्री का पुलिंदा...



प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नई  शिक्षा नीति  को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं शिक्षण सस्थानों में संघ के विचार धारा के साथ-साथ इतिहास के महत्वपूर्ण कालों को विलोपित करने जैसे आरोपों  के बीच नाम थोपने का विवाद है। भाजपाई राज्य तो इस शिक्षा नीति को बगैर चु-चपड़ के स्वीकार कर दिया है।और केंद्र से पैसा लेने पुराने स्कूलों को इस योजना में शामिल कर मोदी का फ़ोटो भी लगा रहे हैं।

नई शिक्षा नीति के तहत पीएम-श्री स्कूल का मॉडल तैयार किया गया है जिसमें केंद्र सरकार 60 फीसदी हिस्सा तभी देगा जब राज्य सरकार 40 फीसदी  हिस्सा देगा।

यानी राज्यों के चालीस फीसदी हिस्सा के बाद भी स्कूल पीएम श्री इसलिए कहलायेगा क्योंकि केन्द्र 60 फीसदी हिस्सा दे रहा है। और केंद्र तभी पैसा देगा जब राज्य पीएम श्री नाम रखेगा। मोदी का फ़ोटो लगाएगा।

इसे लेकर विवाद के चलते कई राज्यों को पैसा नहीं मिल रहा है लेकिन राज्यों के पास फंड की कमी है और स्कूलों को सुविधा सम्पन्न करना है तो केंद्र की बात यानी मोदी  की तस्वीर लगानी ही होगी।

छत्तीसगढ़ में तो पुराने स्कूलों को ही पीएमश्री योजना में शामिल कर पैसे लिये जा रहे है, अन्य भाजपा शासित  राज्यों में भी यही हाल है। यानी नया कोई पीएमश्री स्कूल  नहीं होगा, पुराने स्कूलों को ही नाम बदलकर पीएम श्री कर दिया जायेगा।वह भी सिर्फ ६० फ़ीसदी हिस्सेदारी के साथ।

पंजाब तो पहले ही क़र्ज़ में लदा है इसलिए वह पुराने स्कूलों को इस योजना में लाकर   राजी हो गया, दिल्ली की मजबूरी किसी से छिपी नहीं है । वह ऐसा राज्य है जहां की चुनी हुई सरकार पूरी तरह से केन्द्र पर निर्भर है हालिए वह तैयार हो गई। तो बाक़ी  राज्य भी मजबूरी में तैयार हो गये हैं ।


लेकिन अभी तक तमिलनाडू और बंगाल तैयार नहीं हुए है। वे प्रधानमंत्री मोदी का फोटो सिर्फ 60 फीसदी अंशदान में तैयार नहीं है। लेकिन कोई अपने फोटो के बगैर पैसा न दे तो इसे आप क्या कहेंगे। 

यदि नाम का केंद्र को इतना ही शौक है तो पूरा पैसा दें। राज्यों से 40 फीसदी राशि क्यों लिया जा रहा है ।


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