सोमवार, 12 अप्रैल 2010

सरपंच की हठधर्मिता से उद्यमी आत्महत्या करने मजबूर

विद्युत मंडल भी कनेक्शन देने असहाय
यह तो जिसकी लाठी उसकी भैस की कहावत को ही चरितार्थ करता है वरना कृषि उपकरण के निर्माण के लिए लघु उद्योग लगाने वाले उद्यमी श्रीमती सोनिया को आत्महत्या के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता। कहा जाता है कि भाजपाई सरपंच की दादागिरी की वजह से शासन-प्रशासन भी मूक दर्शक बना है और मामला बिगड़ता जा रहा है।
मामला दुर्ग जिले के पिरदा पंचायत का है। यहां श्रीमती सोनिया ने गांव की बस्ती से 1 किलोमीटर दूर कृष यंत्र के निर्माण के लिए लघु उद्योग स्थापित किया है और सरपंच द्वारा इस पर अड़ंगा लगाया जा रहा है। बताया जाता है कि मामला लेन-देन का है इसलिए सबसे पहले सरपंच ने भूमि के डायवर्सन नहीं होने व गांव की महिलाओं द्वारा शौच जाने की बात कहकर उद्योग को बंद करने की चेतावनी दी और तहसीलदार ने डायवर्सन नहीं होने के नाम पर उद्योग बंद करने कहा।
इसके बाद श्रीमती सोनिया ने एसडीएम से गुहार लगाई तो उन्हें कहा गया कि ग्राम की जनसंख्या दो हजार से कम हो तो डायवर्सन की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है कृषि औजारों और मवेशियों के लिए मकान का निर्माण डायवर्सन करना नहीं है। इस आदेश के बाद भी सरपंच अपने रुख पर अड़ा रहा इस बीच विद्युत कनेक्शन के लिए राशि जमा की गई और विद्युत विभाग ने जब खंभा गड़ाना शुरु किया तो सरपंच ने इसका भी विरोध किया और विद्युत मंडल असहाय है।
इधर उद्यमी श्रीमती सोनिया के पति जयपाल ने आरोप लगाया है कि सरपंच ने रुपए की मांग की थी और नहीं देने पर दादागिरी कर रहे हैं जबकि लघु उद्योग के कारण गांव के दर्जनभर परिवार को रोजगार मिल रहा है। उन्हाेंने कहा कि वे पुलिस से लेकर सभी लोगों का चक्कर लगा चुके है लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा है और उसके सामने आत्महत्या करने की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस संबंध में जब सरपंच बलदेव परघानिया से बात करने की कोशिश की गई तो वे उपलब्ध नहीं हुए।

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