अब तो भगवान ही मालिक...
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक महिला सिपाही ही गैंग रेप का शिकार हो गई। 15 दिन पहले कटोरा तालाब में हुए गोलीकांड के बाद हमने इसी जगह पर लिखा था कि छत्तीसगढ़ जैसे शांत प्रदेश में कानून व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। भ्रष्टाचार में लिप्त मुख्यमंत्री से लेकर पूरा सरकारी अमला सिर्फ और सिर्फ अपनी तिजौरी भरने में लगा है और आम आदमी के लिए मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
भय भूख और भ्रष्टाचार के नारे से सत्ता में आई रमन सरकार ने अपनी कथनी के ठीक विपरीत करनी करने में लगे हैं। आम आदमी कानून व्यवस्था से भयभीत है। किसानों की जमीने छीन ली जा रही है और बढ़ती मंहगाई से उनके सामने भूखों मरने की नौबत ला दी है जबकि भ्रष्टाचार की कालिख से प्रदेश के मुखिया तक रंगे हो तो फिर इस प्रदेश का भगवान ही मालिक नहीं होगा तो क्या कहा जाए। हम शुरू से ही यह बात कह रहे हैं कि जिस प्रदेश के गृहमंत्री को एसपी निकम्मा कलेक्टर दलाल और दस-दस हजार में थाना बिकने की बात कहनी पड़ रही हो वहां हालत कितने बदतर है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन यहां तो बिल्ली के भाग से छींका टूटा है तो धूल तक निगला जा रहा है। कल तक पुलिस पर हमला केवल नक्सली ही करते रहे हैं तब जंगल में लक्ष्य को लेकर बहस होती रहती है लेकिन अब तो छत्तीसगढ़ में हत्या लूट बलात्कार की घटना यूपी बिहार की याद दिलाने लगी है और जब पुलिस वाले ही सुरक्षित नहीं है तब वे किस तरह से दूसरे की रक्षा करेंगे।
रमन सिंह के कार्यकाल में पुलिस वालों का मनोबल गिरा है जब प्रदेश के मुखिया अपराधियों के साथ मंच पर खड़े हो रहे हैं तब भला अपराधियों के हौसले क्यों नहीं बुलंद होंगे।
कल रात जिस तरह से सूचना पाने के बाद भी महिला सिपाही हादसे की शिकार हुई है उसके लिए कहीं न कहीं सरकार भी दोषी है उसने व्यवस्था ही ऐसी बना रखी हैं कि पुलिस का मनोबल टूटने लगा है। अपराधियों को छुड़ाने थाने तक फोन जाता है और कहना नहीं मानने वाले शशिमोहन सिंह जैसों को प्रताडि़त किया जाता हो उस सरकार से क्या उम्मीद की जा सकती है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक महिला सिपाही ही गैंग रेप का शिकार हो गई। 15 दिन पहले कटोरा तालाब में हुए गोलीकांड के बाद हमने इसी जगह पर लिखा था कि छत्तीसगढ़ जैसे शांत प्रदेश में कानून व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। भ्रष्टाचार में लिप्त मुख्यमंत्री से लेकर पूरा सरकारी अमला सिर्फ और सिर्फ अपनी तिजौरी भरने में लगा है और आम आदमी के लिए मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
भय भूख और भ्रष्टाचार के नारे से सत्ता में आई रमन सरकार ने अपनी कथनी के ठीक विपरीत करनी करने में लगे हैं। आम आदमी कानून व्यवस्था से भयभीत है। किसानों की जमीने छीन ली जा रही है और बढ़ती मंहगाई से उनके सामने भूखों मरने की नौबत ला दी है जबकि भ्रष्टाचार की कालिख से प्रदेश के मुखिया तक रंगे हो तो फिर इस प्रदेश का भगवान ही मालिक नहीं होगा तो क्या कहा जाए। हम शुरू से ही यह बात कह रहे हैं कि जिस प्रदेश के गृहमंत्री को एसपी निकम्मा कलेक्टर दलाल और दस-दस हजार में थाना बिकने की बात कहनी पड़ रही हो वहां हालत कितने बदतर है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन यहां तो बिल्ली के भाग से छींका टूटा है तो धूल तक निगला जा रहा है। कल तक पुलिस पर हमला केवल नक्सली ही करते रहे हैं तब जंगल में लक्ष्य को लेकर बहस होती रहती है लेकिन अब तो छत्तीसगढ़ में हत्या लूट बलात्कार की घटना यूपी बिहार की याद दिलाने लगी है और जब पुलिस वाले ही सुरक्षित नहीं है तब वे किस तरह से दूसरे की रक्षा करेंगे।
रमन सिंह के कार्यकाल में पुलिस वालों का मनोबल गिरा है जब प्रदेश के मुखिया अपराधियों के साथ मंच पर खड़े हो रहे हैं तब भला अपराधियों के हौसले क्यों नहीं बुलंद होंगे।
कल रात जिस तरह से सूचना पाने के बाद भी महिला सिपाही हादसे की शिकार हुई है उसके लिए कहीं न कहीं सरकार भी दोषी है उसने व्यवस्था ही ऐसी बना रखी हैं कि पुलिस का मनोबल टूटने लगा है। अपराधियों को छुड़ाने थाने तक फोन जाता है और कहना नहीं मानने वाले शशिमोहन सिंह जैसों को प्रताडि़त किया जाता हो उस सरकार से क्या उम्मीद की जा सकती है।
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