कभी राजनीति समाज सेवा का सबसे सशक्त माध्यम हुआ करता था । सादा जीवन उच्च विचार के मूलमंत्र से अभिभूत राजनीति में आने वाले की सेवा भाव देखते ही बनती थी । कांग्रेस हो या भाजपा, समाजवादी हो या कम्यूनिष्ट सबके लिए समाज सेवा प्रथम लक्ष्य रहा । ऐसे कितने ही उदाहरण रहे जब इस देश में नेताओं ने राजनैतिक सुचिता के लिए सत्ता की कुरसी को लात मारने से भी परहेज नहीं किया । खुद छत्तीसगढ़ में बैठी रमन सरकार की पार्टी में ही अटल-आडवानी से लेकर कई नाम लोगों को जुबानी याद हैं जिन्होंने राजनैतिक सुचिता के लिए अपना सब कुछ होम कर दिया । लेकिन क्या अब इसी पार्टी में ऐसा हो रहा है । भाजपा ही क्यों किसी भी पार्टी में ऐसा नहीं हो रहा है । अपराधियों को संरक्षण से लेकर खुद भ्रष्टाचार में डुबे लोग सत्ता का केन्द्र बने हुए है और ऐसे लोग बड़ी बेशर्मी से राजनैतिक सुचिता, ईमानदारी की बात करते नहीं थकते । http://naiaaaadee.blogspot.in/
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गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013
सत्ता से समृद्धि...
कभी राजनीति समाज सेवा का सबसे सशक्त माध्यम हुआ करता था । सादा जीवन उच्च विचार के मूलमंत्र से अभिभूत राजनीति में आने वाले की सेवा भाव देखते ही बनती थी । कांग्रेस हो या भाजपा, समाजवादी हो या कम्यूनिष्ट सबके लिए समाज सेवा प्रथम लक्ष्य रहा । ऐसे कितने ही उदाहरण रहे जब इस देश में नेताओं ने राजनैतिक सुचिता के लिए सत्ता की कुरसी को लात मारने से भी परहेज नहीं किया । खुद छत्तीसगढ़ में बैठी रमन सरकार की पार्टी में ही अटल-आडवानी से लेकर कई नाम लोगों को जुबानी याद हैं जिन्होंने राजनैतिक सुचिता के लिए अपना सब कुछ होम कर दिया । लेकिन क्या अब इसी पार्टी में ऐसा हो रहा है । भाजपा ही क्यों किसी भी पार्टी में ऐसा नहीं हो रहा है । अपराधियों को संरक्षण से लेकर खुद भ्रष्टाचार में डुबे लोग सत्ता का केन्द्र बने हुए है और ऐसे लोग बड़ी बेशर्मी से राजनैतिक सुचिता, ईमानदारी की बात करते नहीं थकते । http://naiaaaadee.blogspot.in/
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