शनिवार, 23 मार्च 2013

विकास और सुराज पर कर्मों की रपट भारी


सात मंत्रियों सहित तीन दर्जन विधायक निशाने पर
    अपनों का विकास, परिजनों व समर्थकों को नियम विरूद्ध उपकृत!
    अधिकारियों का सुराज- पर्सनल स्टाफॅ  से लेकर भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण
    कई लोगों के आचरण खराब कोयले की कालिख, रोगदा बंाध का बिकना, सरकारी जमीनों पर अवैध         कब्जे और बंदर बांट
    भ्रष्ट और निकम्मों की संविदा नियुक्ति
    परिजनों, समर्थकों व पर्सनल स्टाफ की बढ़ती बदसलूकी
    आरक्षण कटोति- अनुसूचित जाति, आदिवासी व पिछड़े भी नाराज केन्द्रीय नेतृत्व सातों मंत्रियों को हटाने     का निर्देश भी दिया पर जनाधार के नाम पर प्रदेश नेतृत्व से जीवन दान ।
हैट्रिक की तैयारी में जुटी रमन सरकार भले ही अपने शासन काल में विकास और सुराज लाने का कितना भी आंकड़ा पेश कर ले सच तो यह है कि कर्मों की रिपोर्ट देखकर उनकी जमीन खिसक गई है। गुप्तचर एजेसियों से तैयार रिपोर्ट कार्ड का निष्कर्ष साफ है कि प्रदेश के सात मंत्रियों सहित करीब तीन दर्जन विधायकों को दो बारा टिकिट दी गई तो पार्टी का बेड़ा गर्क हो सकता है। रिपोर्ट कार्ड के बाद केन्द्रीय नेतृत्व जहां बेहद नाराज है वहीं प्रदेश के आला नेता भी सकते में हैं।
 सूत्रों की माने तो केन्द्रीय नेतृत्व ने इन सातों मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटाने का सुझाव तक दे दिया है लेकिन प्रदेश नेतृत्व इस पर सहमत इसलिए नहीं हुए क्योंकि कोयले की कालिख कहीं बगावत का बिगुल न बजा दे इसलिए इन्हें जनाधार वाले नेता बताते हुए ब्रम्हास्त्र का हवाला दिया गया है।
हमारे बेहद भरोसे बंद सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 8 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व भी बेचैन है। और इसकी वजह यहां से पहुंचने वाले सांसदों की संख्या है। यही वजह है कि गुप्तचर एजेंसियों के माध्यम से रिपार्ट कराई गई है। रिपोर्ट में मंत्रियों के परफार्मेश पर फोकस करने का निर्देश था।
सूत्रों की माने तो रिपोर्ट कार्ड देखकर केन्द्रीय नेतृत्व भी हैरान है और यही वजह है कि सात मंत्रियों को हटाने की सलाह दी गइ्र । रिपोर्ट कार्ड में सात मंत्रियों की कार गुजारियों का विस्तार से लेखा जोखा दिया गया है। इन मंत्रियों के परिजनों व पसर्नल स्टाफ के बारे में गंभीर टिप्पणी की गई है जबकि एक मंत्री के महिला मित्र की वसूली का भी जिक्र है।
एक मंत्री के तो पर्सनल स्टाफ और परिजनों पर आरोप लगाये गये है कि इनका विभागों में भारी दबदबा हे ढेका और तबादलों में मनमानी चरम पर है। मंत्रियों के परिजनों का सरकारी जमीनों पर कब्जा और मनमाने ढंग से आबंटन पर भी तीखी टिप्पणी की गई है।
बस्तर के एक मंत्री के आचरण को लेकर जहां गंभीर सवाल उठाये गये है वहीं रायपुर के एक मंत्री व लालबत्ती वाले विधायक के व्यवहार और पर्सनल स्टाफ के दुव्र्यवहार पर भी टिप्पणी की गई है।
सूत्रों की माने तो कई अफसरों के करतूतों पर सरकार की खामोशी और संरक्षण पर भी गंभीर सवाल खड़े किये है।
बताया जाता है कि केन्द्रीय नेतृत्व ने ऐसे अफसरों को दूर रखने की हिदायत दी है जबकि खराब रिपोर्ट वाले विधायकों की टिकिट हर हाल में काटने की सलाह दी है।
सूत्रों के मुताबिक संगठन को ऐसे विधायकों व मंत्रियों के स्थान पर नये विकल्प तैयार रखने कहा है। खासकर बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग में बड़े पैमाने पर बड़े पैमाने पर परिवर्तन के संकेत मिलने भी लगे है। इधर रायपुर-बिलासपुर के मंत्रियों को जनाधार वाला मान कर समझाईश देने की चर्चा है जबकि सूत्रों का दावा है कि केन्द्रीय नेतृत्व इनके बगावती रूख का भी पता लगाने में लगी है ताकि टिकिट करने की स्थिति पर विषय परिस्थिति पैदा न सके।
सूत्र बताते है कि विधानसभा के ठीक पहले राजनैतिक अस्थिरता से बचने मंत्रियों को हटाया नहीं जा रहा है लेकिनह केन्द्रीय नेतृत्व के द्वारा इन मंत्रियों को फटकार लगाते हुए चेतावनी जरूर दे दी गइ्र है कि यदि आचरण नहीं सुधारा गया तो टिकिट भी काटी जा सकती है। खासकर भ्रष्टाचार के मामले में मंत्रियों को सतर्क रहने की नसीहत दी गई है।

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