मंत्री पद से इस्तीफ़ा का असर...
कहा जाता है कि मंत्री पद का अपना जलवा है और मंत्री पद के साथ मिलने वाली सुविधा का अपना मिजाज । और मंत्री पद ही छिन जाये तो सबसे ज्यादा परिवार वालों पर इसका असर होता है। बंगला छिने जाने का असर के कई किस्से है। और नेता के परिवार वालों का बंगला छिने जाने के बाद बंगले के दीवार, खंभे से लिपटकर रोने के भी किसे चर्चा में रहे हैं। तो चेहरे से हंसी गायब हो जाने और भूख नहीं लगने , कुछ भी अच्छा नहीं लगने के किस्से भी जान चर्चा में रहे हैं।
ऐसे में रायपुर के सांसद बने बृजमोहन अग्रवाल के मंत्री पद से इस्तीफा का असर भी जनचर्चा में है।
बड़े भाई गोपाल अग्रवाल ने तो सोशल मीडिया में अपना तेवर भी दिखाना शुरू कर दिया है।
वे लगातार भाजपा की सरकार को कोस रहे हैं। जबकि वे खाटी संघी है और महानगर प्रमुख भी रह चुके हैं। पहले वे मीडिल क्लास की तकलीफ के बहाने गरियाते रहे तो अब बजट पर को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
दूसरे छोटे माई योगेश आग्वाल के अपने ही क़िस्से हैं। चला मुरारी हीरो बनने की तर्ज़ पर कवर्धा कांड के किस्से तो सभी जानते ही हैं कि होटल में क्या क्या हुआ अब चेंबर की बैठक में उनके हरकतों को तिलमिलाहट की संज्ञा दी जा रही है। क्योंकि चेम्बर चुनाव में मोहन सेठ की सत्तावाली ताकत के बाद भी वे बुरी तरह हार गये थे।
एक और छोटे भाई तो रायपुर दक्षिण से विधायक बनने का सपना ही पाल लिया है और कहा जा रह है कि पत्रकारों से अपनी दावेदारी को सबसे सक्षम बताने और मोहन सेठ का सही उत्तराधिकारी बताने में लग गये है। इस सबसे दूर यशवंत का मिजाज भी कम चर्चा में नहीं है उनके इस तरह से राजनीति से दूरी पर कई तरह की चर्चा है जो पारिवारिक बताया जा रहा है।
यानी मंत्री पद चले जाने का असर इस तरह चर्चा में है।।
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