गुरुवार, 8 अगस्त 2024

उद्धव ठाकरे ने कर दिया खेल...

 उद्धव ठाकरे ने कर दिया खेल...

 मोदी-भागवत  के हाथ-पांव फूले


महाराष्ट्र में इस साल के अंत में होने बाले विधानसभा चुनाव को लेकर जिस तरह से उध्दव ठाकरे ने फ्रंट-फूट पर खेलना शुरु कर दिया है उससे मोदी सत्ता और आरएसएस की बेचैनी ही नहीं बड़ी है बल्कि उनके सामने सबसे बड़ी चुनौति उन मुद्‌दों की हवा भी निकालनी है जो उद्धव ठाकरे ने जोर-शोर से उठाना शुरु कर दिया है।

महाराष्ट्र जाने का क्या मतलब है यह मोदी सरकार ही नहीं आरएसएस भी अच्छी तरह जानता है, यही वजह है कि कल जब शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने दिल्ली पहुंच कर जब राहुल गांधी और शरद पवार से मुलाकात कर बांग्लादेश के मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमला किया तो आरएसएस ही नहीं समूची बीजेपी के हाथ पाँव फूलने लगे।

दरअसल लोकसमा चुनाव के परिणाम जिस तरह से महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन के पक्ष में आया है उससे साफ है कि यदि विधानसभा चुनाव में भी यह गठबंधन कायम रहा तो भाजपा के लिए महाराष्ट्र बचा पाना मुश्किल हो जायेगा।

महाराष्ट्र में मोदी का जादू नहीं चलने या आरएसएस का हिन्दूत्व कमजोर पड़‌ने की यदि बड़ी वजह पर नज़र डाले तो साफ दिखेगा कि उद्धव ठाकरे की पहचान हिन्दुत्व के जिस चेहरे को लेकर है उसे तमाम कोशिश के बाद भी बीजेपी नहीं नहीं बिगाड़ पायी।

लेकिन इससे भी बड़ा मुद्दा जो भाजपा के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है वह महाराष्ट्र के हक की परियोजना को गुजरात शिफ्ट करने का है यह इतना बड़ा मुद्दा है कि इस मुद्दे ने शिंदे व अजित पवार तक को भी झकझोर कर रख दिया है। ऐसे में बेरोजगारी महगाई के साथ किसान के मुद्दे ने भी शिंदे सरकार को पस्त कर दिया है।

तब सवाल यह भी है कि क्या इंडिया गंठबंधन ने जब चेहरा व सीट तय कर ली है तब भाजपा गठबंधन के लिए सीटो का बटवारा भी तो मुश्किल है।

और शायद यही वजह है कि भाजपा के सामने अब हिन्दूत्व की लकीर को मोटी करने की चुनौति है लेकिन उद्धव ठाकरे के पलटवार ने

भाजपा और आरएसएस के हाथों से यह मुद्रा भी छीन लिया है।उद्धव ठाकरे जिस आक्रामक मुद्रा में खड़े है उससे आरएसएस भी सकते में है।

लेकिन इससे भी बड़ी चुनौति महाराष्ट्र चुनाव में नेतृत्व के चेहरे का है और उद्धव ठाकरे के चेहरे के सामने बीजेपी के सामने यह बेहद दुविधा की स्थिति है क्योंकि मोदी शाह के खेल ने देवेंद्र फड़नवीस के चेहरे पर पहले ही डेंट लगा दिया है।और शिंदे की मजबूरी को आरएसएस बर्दाश्त नहीं कर पा रही।

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