रविवार, 6 मई 2012

फांसी पर चढ़ा दो...


अन्ना हजारे ने कह दिया कि यदि अभिषेक सिंघवी सीडी कांड में दोषी पाये जाते है तो उन्हें फांसी पर चढ़ा देना चाहिए। रामदेव बाबा के सांसदों को जाहिल कहने के बाद अन्ना हजारे के इस बयान से पता नहीं कितने लोग सहमत होंगे लेकिन लोकतंत्र में ऐसी भाषाओं के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। अन्ना का यह बयान सिर्फ अपनी वाहवाही के लिए है तो हमें कुछ नहीं कहना है लेकिन एक गांधीवादी के रुप में अपने छवि बनाने वाले अन्ना की इस सोच को हम आतंकवाद या कट्टर वाद या तालिबान की तरह मानते है जिन्हें अपने दुश्मनों को मारने में कोई संकोच नहीं होता।
कट्टर वाद ही लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है और यह तानाशाही है। इस तरह की सोच से समाज और देश को नुकसान होगा। यह सही है कि अन्ना की जनलोकपाल बिल को लेकर कांग्रेस का प्रबल विरोध है और इसकी वजह से अन्ना हजारे नाराज भी है लेकिन नाराजगी को फांसी के हद तक ले जाना किसी भी हाल में सही नहीं हैै।
अन्ना हजारे ये भूल रहे हैं कि उनकी छवि ईमानदार, गांधीवादी छवि है जहां हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। और अन्ना के  जनलोकपाल बिल का सिर्फ कांग्रेस ही नहीं भाजपा सहित तमाम पार्टीयां भी विरोध कर रही है ऐसे में मनु सिंघवी को फांसी पर लटका देने की सार्वजनिक बयानबाजी से कांग्रेस विरोधी जरुर खुश हो सकते है लेकिन इस तरह की भाषा का लोकतंत्र मे कहीं स्थान नहीं है। आज जब पूरी दुनिया फांसी चढ़ाये जाने को लेकर खिलाफत में लगी है और इस तरह की सजा पर बंदिश की मांग उठ रही है तब अन्ना हजारे की सोच कितना सही है इस पर  बहस तक नहीं होना चाहिए। यह सच है कि भ्रष्टाचार की वजह से आज एक बड़ा वर्ग अपने मूल अधिकार से वंचित हुआ है। अमीर-गरीब के बीच खाई बढ़ी है और मंहगाई से जीना आम आदमी का मुहाल हो गया है,बावजूद फांसी पर लटकाने की बात बेहद ही गैर जिम्मेदाराना है।
हमने पहले ही कहा है कि गाली देने या सड़क पर चिल्लाने से भीड़ जुट जाती है लेकिन यह भीड़ केवल तमाशाबीन होती है। बड़े लोगों के लिए यह चेतावनी है कि वे  अपनी भाषा को संयमित रखे, क्योंकि उनके बहुत से लोग प्रशंसक होते है यदि उनके प्रशंसक भी  उन्हीं के भाषा को बोलते हुए एक कदम आगे बढ़कर काम करे तो फिर कानून व्यवस्था की स्थिति क्या होगी? इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर अन्ना-बाबा कौन सा देश का हित का काम करना चाहते है और जो लोग इसकी पीठ पर सवार होकर राजनैतिक रोटी सेेंक रहे है वे भूल रहे है कि इससे उनका भी नुकसान हो सकता है।
                                  

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