छत्तीसगढ़ में सत्ता में काबिज भाजपाईयों ने पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी को लेकर जिस तरह से कांग्रेस भवन में प्रदर्शन करने का निर्णय लिया यह आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ को किस दिशा में ले जायेगा यह कहना कठिन है लकिन वह किसी भी हाल में उचित नहीं कहा जा सकता।
ये सच है कि पेट्रोल की बेतहाशा किमत बढऩे से आम आदमी का जीना दूभर हो जायेगा। पहले ही बढ़ी हुई महंगाई ने आम लोगों का जीना दूभर कर दिया है। लोगों में इसे लेकर बेहद आक्रोश है और वे सड़कों तक उतर कर अपना रोष जाहिर भी कर रहे है लेकिन इस सबके बाद भी किसी पार्टी कार्यलय में प्रदर्शन कितना उचित है। आज भाजपाईयों ने पेट्रोल की कीमतों को लेकर कांग्रेस भवन में प्रदर्शन करने की कोशिश की है। राज्य मे भाजपा की सरकार है और उसके किसी निर्णय पर कहीं कांग्रेसी भी कोशिश करने लगे तो फिर क्या होगा?
पश्चिम बंगाल में एक पार्टी के लोग दूसरे पार्टी पर जानलेवा हमला करने से भी गुरेज नहीं करते? और छत्तीसगढ़ में आज भी पार्टी की विचारधारा से परे कांग्रेसी और भाजपाई आपस में मेल-जोल रखते है और ऐसी स्थिति मे पेट्रोल की आग को लेकर राजनैतिक प्रतिद्वंदिता को एक दूसरे से सीधे मुकाबले तक ले जाना कतई उचित नहीं है।
छत्तीसगढ़ मे भाजपा की सरकार है और ऐसी स्थिति मे भाजपाईयों को और भी संयमित होने की जरूरत है। फिर भाजपाई ये क्यूं भूल जाते है कि प्रदेश में उनकी सरकार ने कोयले की कालिख से लेकर न जाने कितने मुद्दे कांग्रेसियों के हाथों सौंपा है। इसी पेट्रोल में राज्य सरकार 25 फीसदी वेट ले रही है जबकि दूसरे राज्यों ने अपने लोगों को राहत पहुंचाने वेट में कमी की है और इसी मुद्दे को लेकर कल कहीं कांग्रेसी सीएमहाऊस की बजाय भाजपा कार्यलय को निशाना बनाये तब यहां के सौहाद्र का क्या होगा।
यह परम्परा ठीक नहीं है। और इसे विराम देते हुए भाजपा नेतृत्व को अपने कार्यकर्ताओं के ऐसे उत्साह पर कार्रवाई करनी चाहिए। अन्यथा छत्तीसगढ़ के इस शांत राजनैतिक फिजा में दूसरे प्रांतों के कीड़े न पनप सके।
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