सत्यमेव जयते के एक एपिसोड में अमीर खान ने डॉक्टरों की जब पोल खोलना शुरू किया तो इंडियन मेडिकल एसोसियेशन को बहुत बुरा लगा और अब वे अमीर खान से माफी मांगने सड़क पर उतरने आमदा है।
ये सच है कि आज भी डॉक्टरों का एक बड़ा वर्ग न केवल इस पेशे को सेवा मानता है बल्कि जनता की नजर में भी डॉक्टरों की एक ईज्जत है। लेकिन पिछले कुछ सालों में डॉक्टरों ने जिस तरह से इस पेशे की आड़ में अस्पतालों को स्लाटर हाऊस और स्वयं को यमराज के एजेंट के रूप में स्थापित करना शुरू किया है उससे आम लोग त्रस्त है। छत्तीसगढ़ में ही डॉक्टरों की लूट किसी से छिपी नहीं है। हम इस पेशे में भूल वश पेट में कैची छूट जाने वाली घटनाओं की बात नहीं कर रहे है हम तो दवाई से लेकर ईलाज में मची लूट खसोट की बात कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में ही शासन से अनुदान लेने वाले अस्पतालों की कमी नहीं है राजधानी में ही आधा दर्र्जन से अधिक अस्पताल सरकार से अनुदान ले रही है लेकिन इन्हीं अस्पतालों में पैसों के लिए लाश रोक देने की घटना सामने आते रही है। क्या डॉक्टर दवा कंपनियों के आगे बिक नहीं गए है। जो दवा कंपनी ज्यादा कमीशन देता है उसकी दवाईयां क्या नहीं लिखी जा रही है भले ही उससे सस्ती दवाईयां बाजार में उपलब्ध हो। अब तो जांच में भी कमीशन तय है और मरीज व उनके परिजनों को जरूरत नहीं होने पर भी जांच के लिए न केवल दबाव डाला जाता है बल्कि इतना डराया जाता है कि वे मजबूर होकर जांच कराते हैं।
यह ठीक है कि राजधानी में चिकित्सा सुविधा बढ़ी है लेकिन क्या यहां के डॉक्टर उतने ही निष्ठुर नहीं है? क्या पैसे के एवज में वे मानवता को किनारे नहीं रखते। गरीबों को अस्पताल में फटकने तक नहीं देने के किस्से आम है और दवा कंपनियों से पैकेज डील करने में वे इतने माहिर है कि बेशर्मी की सारी सीमाएं लांघ दी जाती है।
सत्यमेव जयते के जिस एपीसोड के लिए इंडियन मेडिकल एसोसियेशन आगबबुला हुआ है इस एपीसोड से आम आदमी खुश है एसोसियेशन को चाहिए कि वे ऐसे डॉक्टरों व दवा कंपनियों के खिलाफ कड़ा रूख अपनायें।
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