जिला पंचायत की सामान्य सभा की बैठक से दूसरी बार अफसर नदारत रहे और जनप्रतिनिधियों को धरने पर बैठना पड़ा। यह रमन राज में जारी अफसरशाही का एक ऐसा नमूना है जो कभी देखने को नहीं मिलेगा। जिला पंचायत में भाजपा का कब्जा है। अध्यक्ष भाजपा की है और प्रदेश में सरकार भी भाजपा की है इसके बावजूद भाजपा के जनप्र्रतिनिधियों को धरना में बैठना पड़े तो इससे दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक बात क्या हो सकती है।
ऐसा नहीं है कि जिला पंचायत के सीईओ श्रीमती शम्मी आबादी ने ऐसा पहली बार किया है पहले भी वह बैठक में नहीं पहुंची थी तब अन्य अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझा लिया गया था लेकिन कल भी जब यही रवैया रहा तो अध्यक्ष लक्ष्मी वर्मा को धरने पर बैठना पड़ा। श्रीमती वर्मा ने अफसरशाही पर भी टिप्पणी की।
हम यहां पर पहले ही लिख चुके है कि डॉ रमन सिंह के राज में अफसर बेकाबू हो गए है और जनप्रतिनिधियों को अपमानित करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा जाता जिस प्रदेश में गृहमंत्री तक की बात नहीं सुनी जाती उस प्रदेश का क्या हाल होगा यह आसानी से समझा जा सकता है। कुछ एक मंत्री को छोड़ अफसरों के सामने बाकी मंत्री पानी भरते है। खुद रमन सिंह के विभाग में भ्रष्टाचारियों की संरक्षण दिया जा रहा है। मनोज डे से लेकर बाबूलाल अग्रवाल मामले में मुख्यमंत्री के कारनामें सबके सामने हैं ऐसे में जब अब पैसे लेकर पद दे रहे हो तो कोई अफसर कैसे किसी से डरेगा। घोटाले और भ्रष्टाचार में गले तक तर सरकार के मुखिया का चेहरा ही जब कोयले की कालिख से पूति हो तो कोई अफसर कैसे डरेगा? ईमानदार अफसरों को फटकार और बेईमानों को सेवानिवृत्ति के बाद भी नौकरी पर रखने की परंपरा ने इस सरकार को लेकर कई सवाल खड़े किए है। झूठ के महल में टिकी सरकारों का जब उद्देश्य सिर्फ पैसा हो तो अफसरशाही को हावी होने से कैसे रोका जा सकता है। हमने इसी जगह पर पहले ही कहा था कि यूपीए को गरियाने वाले पहले अपने गिरेबां में झांक तो लें। यदि आज भाजपा सत्ता में है तो इसकी वजह कांग्रेस की करतूत है और यदि यही हाल रमन राज का रहा तो फिर आखिर जनता किस पर भरोसा करेगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें