सोमवार, 10 मई 2021

अब तो समझ जाओं...

 

आपने फिल्म मदारी नहीं देखी है, तो एक बार जरूर देख ले। खासकर, उन लोगों को यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए जो नरेन्द्र मोदी या मोहन भागवत जैसे लोगों को भगवान समझते हैं ताकि वे अपनों को खोने से पहले ही समझ जाये। अपनों के खोने का दुख बेहद दर्दनामक होता है और फिर बाद में पछतावा के सिवाय कुछ हासिल नहीं होता। आदमी यही सोचता रह जाता है कि काश!...

मदारी में मंत्री का बेटा कहता है मुझे 5-10 वर्ष नहीं लगेगा समझने में, मैं समझ गया! यह उन लोगों के लिए भी है जो आंख मूंद कर बैठे हैं। याद कीजिए गोरखपुर का वह आक्सीजन कांड जिसने कितने ही बच्चों की जान ले ली थी तभी सत्ता की जवाबदेही तय हो जाती तो आक्सीजन की आपूर्ति सुधर सकती थी।

आज हम यह बात आपसे इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस देश को कोरोना के भीषण संकट में डालने का काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपनी महत्वाकांक्षा ने किया है। नमस्ते ट्रम्प और मध्यप्रदेश में सरकार बनाने की पहली बड़ी गलती को माफ कर भी दे तो उसके बाद कोरोना की दूसरी लहर की चेतावनी को नजर अंदाज कर बडे आयोजनों की अनुमति के कारण देश में त्राहिमाम् मचा हुआ है।

सत्ता की इस लापरवाही की वजह से ही सुप्रीम कोर्ट को टास्क फोर्स बनाना पड़ा और कोर्ट को कहना पड़ा कि हम लोगों को इस तरह से मरते नहीं देख सकते। हैरानी की बात तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट को वह काम अपने हाथ में लेना पड़ा जिस काम को सरकार को करना था। यह किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए बेहद दुखद है और सत्ता के लिए तो शर्मसार कर देने वाला निर्णय है। लेकिन जब सत्ता में शर्म नाम की चीज ही न बची हो तो पूरी दुनिया हंसेगी। और यही हो रहा है। समूचा दुनिया ने भारत के इस मौजूदा संकट के लिए केन्द्र की सरकार को दोषी माना है। मेड़िकल जर्नल की सम्पादकीय में मोदी सत्ता के लिए जिस तरह के शब्दों को इस्तेमाल करते हुए लानत भेजी है वह चौकाने वाला है।

हालांकि इससे पहले कई राज्यों के न्यायालय ने नरसंहार जैसे शब्दों का उपयोग करते हुए यहां तक कहा कि चोरी करो डाका डालो लेकिन आक्सीजन और दवाई का इंतजाम करो। इस तरह की टिप्पणी के बाद अब सरकार कोरोना की बजाय अपनी छवि चमकाने पूरी पार्टी को झोंक दे और पार्टी के पढ़े-लिखे लोग यदि सरकार की छवि सुधारने छल-प्रपंच, झूठ, अफवाह, हिन्दू-मुस्लिम करने लगे तो कोरोना का यह रुप नरसंहार बन जायेगा।

इसलिए हमने जब कहा कि ऐसे लोगों को फिल्म मदारी इसलिए भी देख लेना चाहिए क्योंकि फिल्म समाज का आईना होता है। और वह सिखाता है कि देश के प्रति प्रेम और मानवता की रक्षा के लिए किस तरह से हर व्यक्ति की जवाबदारी है। ऐसे कितने ही उदाहरण है कि इस देश के लोगों ने पट्टा उतारकर देश हित में कड़े फैसले लिये है लेकिन जिस तरह का दुरंगी पट्टा पहनाकर लोगों की आंखों में भी पट्टा बांधी गई है उनके लिए फिल्म का यह डायलॉग महत्वपूर्ण है तुम मेरी दुनिया छिनोगे, मैं तुम्हारी दुनिया में घुस जाउंगा। यह कहता है अब भी देर हुई  है सवाल कीजिए, रोज कीजिए! नहीं तो अपनी बारी का इंतजार कीजिए।

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