शुक्रवार, 2 अगस्त 2024

जात न पूछो राहुल की...

जात न पूछो राहुल की... 


राहुल गांधी किस जाति के हैं यह बताये इसमे पहले यह जान लेना जरूरी है झूठ और अफवाह के आसरे नफरत की राजनीति में माहिर भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी पर सीधे हमला क्यों बोल दिया है। इस हमले से भाजपा की खीज साफ दिखाई भी देने लगी है। क्योंकि अनुराग ठाकुर की बातों को जब स्पीकर ने विलोपित कर दिया उसके बाद भी देश के प्रधानमंत्री ने अपने एक्स हेडल में इसे प्रदर्शित कर संसद की गरिमा का अवमानना करने से नहीं चूके।

दरअसल यह सारा मामला जातिय जनगणना से जुड़ा हुआ है जिसका भाजपा खुलकर समर्थन नहीं कर पा रही है। और मीडिल क्लास और पिछड़े वर्ग के बिखरते वोट ने उनके भीतर के हिन्दूत्व को हिला कर रख दिया है।

दरअसल हिन्‌दु वोटरों के ध्रुवीयकरण के आसरे सत्ता तक पहुंची भाजपा के लिए नरेंद्र मोदी के करिश्में से ज़्यादा असरदार कैग का वह फर्जी रिपोर्ट और लोक आयोग को लेकर अन्ना आन्दोलन का वह तूफान था जिसकी वजह से कांग्रेस को बदनाम करने की साज़िश रची गई । लेकिन लोगों को समझाया गया कि नरेंद्र मोदी के चेहरे के आसरे ही बीजेपी सत्ता में आ सकी।

अच्छे दिन आयेंगे के सपने 2047 के विकसित भारत तक आते आते इस कदर  रिसने लगा कि मीडिल और पिछड़ा वर्ग मोदी के हाथों से फिसलते गया।

२०१९ के परिणाम का ठसक, अहंकार, आत्ममुग्धता की हवा निकल गई तो इसकी वजह राहुल गांधी का वह भारत जोड़ो यात्रा थी जो कांग्रेस को वैचारिक रूप से भी बदलकर जाति जनगणना तक पहुंचा दिया। और यही जाति जनगणना अब भाजपा और संघ के कथित हिदुत्व के आधार को हिला कर रख दिया है।

जाति किसी जननेता की क्या होती है? यह सवाल इसलिए भी भाजपा ने उठाये हैं ताकि खिसकते जनाधार को बचा लें या मोदी सत्ता की करतू‌तों पर पर्दा डाल ले।

इसरे अलावा एक बड़ी वजह है राहुल गांधी की भारतीयता की वह छवि जो किसी भी जाति या धर्म से उपर हो चुका है। 

हालांकि भाजपा के स्लीपर सेल का गांधी नेहरू परिवार की जाति और धर्म को लेकर पहला वार नहीं है इससे पहले भी वे इसे हवा देते रहे है। 

लेकिन आमने - सामने मी स्थिति पहली बार बनी है। लेकिन भाजपा ने राहुल गांधी की जाति पूछने में देर कर दी क्योंकि अब राहुल गांधी की जाति भारतीयता हो चुकी है, पूरा देश धीरे-धीरे राहुल को स्वीकार कर चुका  है सिवाय संधी संस्कारित्रों के…?


इसके बाद भी यदि सवाल राहुल के दादा फिरोज गांधी के मुसलमान  होने की अफ़वाह को हवा दी जा रही है तो देश को यह जान लेना जारी है कि फिरोज गांधी मुसलमान नहीं पारसी थे, वे फिरोज खान लिखते थे और महात्मा गांधी के द्वारा उन्हें गोद लेने के बाद वे गांधी  कहलाने लगे। उनका अंतिम संस्कार भी इसी वजह से हिन्दू रिति रिवाज से हुआ।

पारसी जोरास्ट्रि‌यन धर्म का पालन करते हैं, जो आग को पवित्र मानकर उसकी पूजा करते हैं। और जिनके बारे में आचार्य चतुर सेन ने अपने उपन्यास वयम रक्षाम में इनको यमराज की जाति के वंशज माना है....

अब सवाल पंडित नेहरू के मुसलमान होने के अफवाह का है तो इस पर केवल वहीं लोग भरोसा कर सकते है जो आँखों में कट्टरता की पट्टी बांधे घूम रहे हैं।

दररूसल पूरा खेल या षड्यंत्र की वजह अंग्रेजों की चापलूसी के सच को विस्मृत कर देने की कवायद है और कुछ नही...!

1 टिप्पणी:

  1. भारत का संविधान हर एक व्यक्ति के लिए बराबर महत्व रखता है, आज भारतीय नागरिकों को जाति सर्टिफिकेट बनाने के लिए मिसल रिकॉर्ड दिखाना पड़ता है, Rahul Apna Misal Kyon prastut Nahin Karte Hain? यदि ब्लॉगर को मालूम है तो वह स्पष्ट करें l धन्यवाद,

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