बुधवार, 7 अप्रैल 2010

अपनी अवैध कालोनी के लिए भी खूब षड़यंत्र किया

घोटालेबाजों का जमाना महाधिवक्ता है सुराना-3
हाधिवक्ता की कुर्सी तक पहुंचे देवराज सुराना व उनके परिवार पर न केवल मंदिर व आदिवासियों की जमीन ही हड़पने का आरोप है बल्कि इन पर राय शासन के जल संसाधन विभाग को गुमराह करके नानेश बिल्डर्स द्वारा बनाई अवैध कालोनी को भी वैध करने की कोशिश का आरोप है।
दरअसल प्रदेश में भाजपा की सरकार आते ही इस परिवार ने जिस तरह से अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अपने हितों के लिए अवैधानिक तरीकों का इस्तेमाल किया वह अंयंत्र देखने को नहीं मिलेगा। गोपिया पारा पुरानी बस्ती स्थित श्री हनुमान मंदिर की जमीन हो या फिर माना में आदिवासियों की जमीन हो सभी मामले में भाजपा शासन के अधिकारियों की भूमिका रही और कहीं न कहीं इस मामले में सरकार का भी प्रभाव रहा है अन्यथा आनन-फानन में सुराना परिवार के पक्ष में निर्णय नहीं लिए जाते।
ताजा मामला नानेश बिल्डर्स द्वारा बनाई गई कालोनी का है। दरअसल यह कालोनी नहर के पार बनाई गई थी और नहर में पुल बनाए बगैर इस कालोनी के मकान या जमीन नहीं बिकते इसलिए जमीन की अच्छी कीमत पाने सुराना परिवार द्वारा षड़यंत्र रचे जाने की कहानी है। बताया जाता है कि नहर काट कर पुलिया निर्माण के लि षड़यंत्र तो 2001 में ही रच ली गई जब देवराज सुराना के अध्यक्ष वाली देवलिला एजुकेशन सोसायटी ने कार्यपालन यंत्री जल प्रबंध संभाग-1 को एक आवेदन दिया कि उनकी सोसायटी शासन की हुडकों योजना के तहत बढ़ई और राजगिरों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा देने के लिए ग्राम माना पहन-116 खसरा नंबर- 7191 जो कि नहर के पीछे होने से पहुंच मार्ग नहीं होने के कारण पुलिया निर्माण किए जाने की बात करते हुए देवलिला सोसायटी ने यह भी कहा कि वह पुलिया निर्माण का पूरा खर्च स्वयं वहन करेगी।
बताया जाता है कि जल संसाधन विभाग ने देवलिला एजुकेशन सोसायटी के इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया यहीं नहीं 19-10-2004 को हुडकों ने भी हाथ खड़े कर दिए। लेकिन तब तक भाजपा सत्ता में बैठ चुकी थी और देवराज सुराना का ही प्रभाव था कि जिस पुलिया निर्माण को जल संसाधन विभाग ने अस्वीकार कर दिया था उसी विभाग ने अचानक नियम विरुध्द नि:शुल्क नक्शा स्टीमेट बना कर पुलिया तक निर्माण कर दिया और कहा गया कि जनहित में यह सब किया गया यानी अवैध कालोनी को सुविधा दी गई। इधर जब 2009 में अवैध कालोनी का हल्ला हुआ तब रायपुर विकास प्राधिकरण की ओर से नानेश बिल्डर्स को अवैध विकास कार्य हटाने 18 मार्च 2009 को नोटिस दी गई जिसके विरुध्द निशेघाज्ञा प्राप्त करने नानेश बिल्डर्स ने मामला न्यायालय में पेश कर दिया है।

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