सोमवार, 11 अप्रैल 2011

छत्तीसगढ़ को भी अन्ना जैसों कि जरुरत




महाराष्ट्र के आधा दर्जन मंत्रि और चार सौ अफसरों को हटवा चुके अन्ना हजारे के आगे केद्र की सरकार को झुकना पड़ा। इस आंदोलन को शांत छत्तीसगढ़ में भी जिस तरह से समर्थन मिला उसके बाद ने केवल आम लोग उत्साहित हैं बल्कि इस आंदोलन से जुड़े लोग भी समझ गए हैं कि गांधी वाद में आज भी उतनी ही ताकत है जितनी आजादी की लड़ाई के दौरान रही है।

छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार , अफरशाही से आम आदमी त्रस्त हैं। यहां की राजनैतिक स्थिति से तो पता ही नहीं चलता कि काग्रेसी कौन है और भाजपाई कौन ।

अन्ना हजारे के समर्थन में आमरन अनशन करने वाले विजय वर्मा कहते हैं कि अब छत्तीसगढ़ सरकार को भी समझ लेना चाहिए, नहीं तो वे छत्तीसगढ़ में हो रहे भ्रष्टाचार और अत्याचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ेंगे। विजय वर्मा ही नहीं दाऊ आनंद कुमार ,ममता शर्मा, भारती शर्मा ने भी इसी तरह की बात कही है। छत्तीसगढ़ में बिजली पूरे देश में सबसे महंगी कर दी गई इतना ही नहीं उद्योगपतियों को राहत देते हुए केवल 11 से 13 फीसदी टैक्स बढ़ाया गया जबकि आम आदमी के लिए 22 प्रतिशत वृद्धि की गई। सरकार लोगों को पानी तो दे नहीं पा रही है और टैक्स बड़ा रही है।

भ्रष्ट अफसरों को खुलेआम संरक्षन दिया जा रहा है। बाबूलाल अग्रवाल, एम के राउत, सुब्रत साहू, नारायन सिंह, कल्लुरी, रामनिवास ,राजीव श्रीवास्तव जैसे विवादित अफसरों को पदोन्नति व संरक्षन दिया जा रहा है। रोगदा बांध बेचने वाला अफसर पी जाय उमेन को मुख्यसचिव बनाये रखा गया है। मंत्रियों पर खुलेआम भ्रष्टाचार का आरोप लग रहा है और मुख्यमंत्री के विभाग खनिज, जनसंपर्क,और उर्जा में भ्रष्टाचार की नदिया बह रही है। आम लोगों में अन्ना के आंदोलन से उत्साह जगा है जबकि संभावना व उम्मीद भी जताई जा रही है कि शीघ्र ही बड़े आंदोलन छत्तीसगढ़ में भी होगा।

खासकर चुनाव के समय 270 रु. बोनस देने की मांग को लेकर जिस तरह से किसानों आंदोलन साल भर से जारी है उसे अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश मे किसान मोर्चा अन्ना हजारे या गांधी वादी अनशन पर जा सकते हैं।

शांत छत्तीसगढ़ में नक्सली आंदोलन को खतम करने भी कुछ लोग आंदोलन चलाने की बात कर रहे हैं और बस्तर में पदयात्रा या इस तरह का कोई काम करने की योजना भी बनाने की जरुरत बताई जा रही है।

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