रायपुर को अपना गढ़ मानने वाली भाजपा का जनाधार जिस तेजी से घटने लगा हे उसे नजर अंदाज किया गया तो आने वाले दिनों में राजधानी में परचम लहराना सपना बन कर रह जायेगा । दो-दो मंत्रियों के रहते भी राजधानी में भाजपा को लगातार क्यों मान मिल रही है ? ेयह हैट्रिक में जुटी भाजपा के लिए कितना विचारणीय है यह तो वही जाने लेकिन निष्ठावान भाजपाई बेचैन हैं ।
इन दिनों रमन सरकार हैट्रिक की तैयारी में लगी है । ऐसे में उसके सामने सबसे बड़ी समस्ेया अपने गढ़ की रक्षा करना है । भाजपा का सर्वाधिक गढ़ रायपुर को मान जाता है । और यहां से दो-मंत्री भी बनाये गए है और दोनों ही मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और राजेश मूणत को दमदार माना जाता है ।
भाजपा के इस अभेद माने जाने वाले गढ़ में सेंध तो पिछले चुनाव में ही लग गया था जब यहां की चार में से एक सीट पर कांग्रेस विधायक कुलदीप जुनेजा ने अपनी जीत का परचम लहराया था । लेकिन भाजपा ने इसे गंभीरमा से नहीं लिया और मामूली अंतर की जीत की भरपाई को लेकर मुगालते में रही ।
हालांकि दमदार मंत्री और मजबूत संगठन के बल पर भाजपा अब भी राजधानी में कांग्रेस के मुकाबलेे मजबूत दिख रही है लेकिन महापौर चुनाव में मिली करारी हार के बाद भी यदि भाजपाई या रमन सरकार मुगालते में है तो फिर इसका खामियाजा भी उसे भुगतना पड़ सकता है ।
राजधानी के चारों सीट के महापौर चुनाव में न केवल किरणमयी नायक की जीत हुई बल्कि भाजपा पार्षद तीस की संख्या पर सिमट गई है । इसके बाद भी मंत्रियों की मनमानी, संगठन की निरकुंशता और भाई भतीजा वाद के चलते भाजपा में जबरदस्त असंतोष दिखने लगा है । असंतोष लोगों के परचा कांड को नजर अंदाज करना सभापति चुनाव में भी भारी पड़ा है । और राज्य की सत्ता में होने के बाद भी भाजपाई पार्षदरों ने बगावत का जो खले खेला वह अनुशासन का दंभ भरने वाली पार्टी के लिए नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा ।
भले ही संगठन खेमा का सरकार में बैठे मंत्री अविश्वास प्रस्ताव के क्रॉस वोटिंग को सभापति के खिलाफ मान ले लेकिन सच तो यह है कि कोयले की कालिख और चेहरा देखकर लालबत्ती बांटने की सरकारी कारगुजारियों से निष्टावान भाजपाई न केवल नाराज हैं बल्कि मौका मिलने पर वे पार्टी के खिलाफ भी जा सकते हैं ।
बताया जाता है कि दमदार मंत्रियों की आपसी लड़ाई का असर भी संगठन में पड़ा है और यही वजह है कि संगठन में बिखराव स्पष्ट दिखने लगा है ।
बहरहाल भाजपा के इस गढ़ में बढ़ते असंतोष को नहीं रोका गया और अपने को पार्टी का सर्वेसर्वा मानने वालों पर लगाम नहीं कसा गया तो आने वाले दिनों में भाजपा को इसका जबरदस्त खामियाजा भुगतना पड़ा सकता है ।
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