मंगलवार, 9 मार्च 2010

राहुल का चला रंग , संघ हुआ बदरंग



यह तो खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की कहावत को ही चरितार्थ करता है वरना सिद्वांतों की दुहाई देने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह चेहरा भोपाल में आयोजित हिन्दू समागम में कभी नहीं दिखाई देता। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की बढती लोकप्रियता के कारण बौखलाए संघ ने हिन्दू समागम के नाम पर ठेकेदारों, बिल्डरों और बदनाम अफसरों का मेला लगा लिया जहां संघ के प्रशिक्षित कार्यकर्ता कम नेता अधिक नजर आए।
राष्ट्रीय सेवक संघ वैसे तो शुरु से ही विवादों में रहा है और उनकी सत्ता की भूख समय-समय पर दिखती भी रही है लेकिन इसके बावजूद सिध्दांतों की बलि देने की ऐसी कोशिश तब भी नहीं हुई थई जब सत्ता सुंदरी के लिए अटल बिहारी की टीम ने राम मंदिर, धारा 370 और एक समय नागरिक संहिता की बलि दी थी। लेकिन भोपाल में हिन्दू समागम के नाम पर जिस तरह से निष्ठावान कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया गया अऔर बिल्डरों, ठेकेदारों, भ्रष्ट अफसरों के साथ भाजपा के कमाऊ नेता-मंत्रियों को तरहीज दी गई उससे संघ का नया चेहरा दिखाई देने लगा है। संघ का यह चेहरा राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता के कारण बदरंग होते साफ महसूस किया जा रहा है।
दरअसल इन दिनों भाजपा की पराजय ने संघ को लहूलुहान कर दिया है और संघ के सरसंघचालक अखिल भारतीय प्रवास पर हैं। जगह-जगह वे समाज के विभिन्न तबको को अपने साथ जोड़ने उन्हें संघ-वाणी पिला रहे हैं। छत्तीसगढ क़ी राजधानी रायपुर के बाद मध्यप्रदेश में भी भागवत का कार्यक्रम हुआ। दोनों ही जगह भापा की सरकार है। इसलिए सामाजिक सद्भाव बैठक और हिन्दू समागम में सरकार ने भीड़ जुटाने पूरी ताकत झोंक दी और संघ का राजनैतिक प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ा।
भोपाल में तो आयोजित कार्यक्रम की समिति का अध्यक्ष पूर्व डीजीपी एच.एस. जोशी को बनाया गया लेकिन जैसे ही उनके पुत्र व पुत्रवधु के यहां आयकर के छापे पड़े और करोड़ों रुपए बरामद हुआ। जोशी जी को हटाकर न्यायमूर्ति आर.डी. शुक्ला को आयोजन समिति का अध्यक्ष बना डाला। जबकि श्री शुक्ला की पहचान संघ से यादा समाजवादी पृष्ठभूमि की है। आयोजन समिति में संघ के निष्ठावान कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को शामिल करने की बजाय भाजपा की नेतागिरी करने वाले को रखा गया। यही नहीं आयोजन समिति का सदस्य व्यवसायी दीपक शर्मा को बनाया गया जो भाजपा नेता लक्ष्मीनारायण शर्मा के पुत्र हैं। हालांकि लक्ष्मीनारायण शर्मा को उमा भारती समर्थक होने के कारण भाजपा में भाव नहीं दिया जाता लेकिन अर्थ युग होने की वजह से दीपक शर्मा का भाजपा में प्रभाव है।
सबसे रोचक बात तो यह है कि इस कार्यक्रम में होल्डिंग व प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी बिल्डरों व ठेकेदारों को दी गई और अफसरों को भी अघोषित तौर पर भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी दी गई। यही वजह है कि संघ का यह कार्यक्रम सम्पन्न तो हो गया लेकिन सफल नहीं हुआ।
संघ के निष्ठावान स्वयंसेवक संघ की इस नई रणनीति से हैरान है जबकि एक वर्ग का मानना है कि संघ जैसे भी उपाय कर ले लेकिन राहुल का जलवा के आगे उसकी सारी गणितबाजी फेल होगी। बहरहाल संघ के इस नए चेहरे से बिल्डर, ठेकेदार और भ्रष्ट अफसर खुश है कि चलों उनके लिए किसी ने तो मंच स्थापित किया है लेकिन आम लोगों में संघ के इस नए चेहरे पर तीखी प्रतिक्रिया है।

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