शुक्रवार, 23 मई 2025

इस तस्वीर से युद्ध नहीं चुनाव जीते जाते हैं

 इस तस्वीर से युद्ध नहीं चुनाव जीते जाते हैं


पाकिस्तान की पीठ पर सवार होकर अमेरिका ने जो सीजफ़ायर का एलान किया, उसे क्या कोई भुला पाएगा

चीन ने पाकिस्तान की संप्रभुता की आड़ लेकर भारत को धमकाया क्या उसे नज़र अन्दाज़ किया जा सकता है

लेकिन यदि खून की जगह ठंडा तासीर वाला सिंदूर बहे तब क्या किया जा सकता है 

ऐसे में अब यदि राम को लायें है कि तर्ज़ पर हर रेलवे की टिकिट पर और चौक चौराहों में सेना की वर्दी पहने मोदी दिखे तो इसका मतलब क्या है यह बताने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए 

ऐसे में राजेश जे जैन ने फ़ेसबुक में जो लिखा वह आप भी पढ़िए..

ये कैसा खून है जो समय के साथ बदल जाता है ? कभी ये धंधा बन जाता है ,कभी व्यापार और आज तो  ये सिंदूर बन गया !! ट्रम्प के सामने ठंडा पड़  जाता है ! चाइना का नाम आते ही सूख  जाता है। चलिए मान लेते है.  गरम सिंदूर बन गया तो बताए कि पहलगाम के पीड़ितों के लिए आपने क्या किया ? लफ्फबाजी ! किसी को दिलासा देने की कोशिश की ? उनसे मिलकर सांत्वना के दो शब्द कहे ? बिलकुल नहीं ! हाँ नितीश कुमार के साथ ठिलवाई जरूर की।

राहुल गांधी दुरुस्त कह रहे है कि आपके खून में केमिकल रिएक्शन ' कैमेरा ' देखकर ही होने लगता है। अन्यथा तो आप सर्वदलीय बैठक से ही कल्टी मार जाते है। अगर यह खून वाकई रिएक्शन करता तो 22 अप्रैल को ही उबल जाता , विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री की ट्रोलिंग पर आपकी नींद उड़ा देता , सोफिया कुरैशी और सेना के अपमान के जिम्मेदार दोनों मंत्रियों को सड़क पर ला देता। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से खून ने कोई हरकत नहीं की !

तो अब थोड़ा विश्राम कीजिये  श्रीमान।  बातों की जलेबियाँ तलना बंद कीजिये। एक काम कीजिये ,  अपना ये होर्डिंग भी  उतरवा लीजिये , लोग मजाक बना रहे है  , हंसा हंसा कर जान लेंगे क्या ? इस तरह के इवेंट से अब आपके अंधभक्तो को भी कोफ़्त होने लगी है , आते जाते लोग उन्हें मुस्कुराकर देखते है।  इससे उनका खून जरूर उबल जाता है।

डॉ पंकज यादव ने जो लिखा…

कथा: एक जाबांज की...

22 अप्रैल को हुये कायर आतंकियों के हमले में जान गंवाने वाले बेगुनाहों की मौत का बदला लेने को हमारा वो वीर योद्धा पल-पल व्याकुल था, देश के इंटेलीजेंस फेल्योर पर उठ रहे सवालों के बीच वो नापाक आतंकियों को सबक सिखाने को व्याकुल होता ही जा रहा था, हालांकि आतंकी घटना के बाद उसने बिहार में जंग के मैदान से शब्दभेदी बाण छोड़े, पर इंतकाम की आग उसे चैन नहीं लेने दे रही थी। 


आखिरकार 06-07 मई, 2025 की आधी रात को वो घड़ी आई जब रडार परास्त तकनीकी का इस्तेमाल करते हुये वो अकेला ही लड़ाकू विमान लेकर दुश्मन देश के आतंकी ठिकानों पर टूट पड़ा। खाकी वर्दी, काला चश्मा और कार्गो पहन हमारा वो वीर योद्धा उस रात एको एक आतंकी को नेस्तानाबूद कर देने को आतुर था, उसने पूरी ड्रेस पहन अपनी सभी जेबों में बम भर रखे थे, अपने पूरे विमान को गोला बारूद से फुल कर रखा था। दुश्मन खेमे में लड़ाकू विमान के घुसते ही उसने आतंकी ठिकानों पर बमबारी शुरु कर दी। धमाके पे धमाका, बूम-बूम की आवाज से दुश्मनों के होश उड़ गये, उन्होंने आकाश की ओर देखा तो वो जाबांज अकेला ही मोर्चे पर डटा था, कभी धाँय-धाँय, कभी धम-धम, कभी बूम-बूम करके जब उसने ब्लास्ट किये तो आतंकियों को सम्भलने का मौका भी नहीं मिला, एक-एक बम के धमाके के साथ सैकड़ों आतंकी ढेर हो रहे थे।


दुश्मनों ने भी अपने हथियार उठाये धाँय-धाँय, ठिचकियाऊँ-ठिचकियाऊँ करके एक के बाद कई प्रहार हमारे वीर योद्धा पर किये गये, लेकिन हमारे जाबांज ने उस दिन दुश्मनों की एक न चलने दी। सू-सांय, सू-सांय, घर्र-घर्र करते उसके लड़ाकू विमान ने दुश्मनों के हमले को फेल कर दिया। हमारे जाबांज योद्धा ने लगातार 2 घण्टे तक मौत बनकर दुश्मनों के सीने पर तांडव किया और फिर वो योद्धा आखिरकार 07 मई की अलसुबह अपने वतन वापस लौटा, लड़ाकू विमान स्टैंड पर खड़ा कर, हैलमेट हाथ में लेकर जब वो उतरा तो उसकी जाबांजी देखते ही बनती थी, तसवीर उसी वक्त की है। गौर से देख लो, हजारों सालों में एक बार पैदा होते हैं ऐसे वीर योद्धा। शत-शत नमन है हमारे देश के ऐसे वीर, जाबांज योध्दा को...


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें