शनिवार, 14 जून 2025

सोनम का भाई गोविंद सचमुच "गोविंद"है

 सोनम का भाई गोविंद सचमुच "गोविंद"है


 इंदौर के रघुवंशी परिवार के यहां एक घटना हुई । जो घटनाक्रम सामने आए वो किसी सस्पेंस थ्रीलर फिल्म  से कम नहीं थी। शुरुआत से लेकर अंत तक बहुत ही ज्यादा रोमांचक । अंत आश्चर्य जनक इससे ज्यादा दुखद।  शुरुआत हुई तो राजा की हत्या हुई । सोनम का लापता हो गई। ऐसा होता है कि आपराधिक प्रवृति के लोग अवसरवादी होते है । एक लड़का लड़की के अकेले होने का अवसर का फायदा  स्थानीय लोग अपनी जगह के पहचान की और दूसरों के अनजान होने की वजह से उठा लेना सामान्य सी बात है । राजा की हत्या और सोनम के लापता होने पर अनेक किस्से कहानी सुने गए। मेघालय सरकार, पुलिस पर उंगली उठी और  रियल लाइफ की फिल्म का क्लाइमेक्स सामने आया तो लोगों का सिर चकरा गया।एक के बाद एक आरोपी पकड़ाते गए और अंत में सूत्राधार सोनम भी अपने अगवा होने के तमाशे को नहीं दिखा सकी। अब सब कुछ सच सामने है। अक्सर हत्या करने वाले ऐसी जगह और परिस्थिति को योजना में रखते है जहां कोई देखने वाला न हो । राजा की हत्या के लिए ऐसी जगह खोजी गई और योजना को अंजाम दे दिया गया। योजना का दूसरा सूत्राधार इंदौर से ही हत्या को अंजाम देने  के बाद सोनम के परिवार को राजा के अंतिम संस्कार में मददगार बनने का स्वांग रचता गया।

इस फिल्म का अंत का सच बहुत ही दर्दनाक और वीभत्स रहा। सारी मर्यादा लांक्षित हो गई।दो परिवार सहित हर किसी को विवाह के रीति रिवाज,पति पत्नी के संबंध सहित मालिक का नौकर के प्रति विश्वास लड़खड़ा गया। सोनम का  राज के प्रति पनपा प्रेम पावन संबंध से ज्यादा किसी और प्रकार के सीधे शब्दों में कहे तो दैहिक आकर्षण ज्यादा था।अन्यथा बहन जैसे रिश्ते(भले दिखावे के लिए हो)को दोनों लांक्षित नहीं करते। सोनम के परिवार के अलावा आरोपी राज की मां भी विश्वास नहीं कर पाई कि एक पवित्र रिश्ते की आड में  अवैध संबंध पनप  रहा है।इसी "दीदी" उद्बोधन के चलते बेफिक्र परिवार ने सोनम का रिश्ता भी तय कर दिया।  पारिवारिक,सामाजिक, आर्थिक और जितने भी वजह हो सकते थे उनमें राज केवल एक अदना सा व्यक्ति ही था जिसकी कोई हैसियत नहीं थी। प्यार, अंधा होता है ये माना जाता है।इस प्रेम कहानी में सोनम और राज भी दोनों आंख से अंधे साबित हुए। साथ जीने की कसमें खाने वाले इन दोनो ने राजा को मारने की कसम खा ली। सोनम और राज की अवैध प्रेम ने एक निर्दोष व्यक्ति की जान ले ली। सभी आरोपी इंदौर से  2183किलोमीटर दूर शिलांग में पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए रिमांड पर है। सभी ने स्वीकार भी कर लिया है कि वे राजा रघुवंशी की हत्या में शामिल थे। मेघालय और इंदौर की पुलिस ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य इकट्ठे कर लिए है जो  राजा की हत्या के सबूत के रूप में न्यायालय के सामने रखे जाएंगे। पाठकों को ये जानकारी होनी चाहिए कि पुलिस के समक्ष किए गए कबूलनामें की न्यायालय में कोई मान्यता नहीं रहती है।अधिकांश आरोपियों को उनके वकील समझा चुके रहते है कि गुनाह कबूल कर लेना अन्यथा पुलिस की सख्ती के चलते आगे बचना मुश्किल हो जाएगा। वैसे भी हत्यारे , आकस्मिक आक्रोश के चलते कम सुनियोजित ढंग से हत्या की योजना बनाते है,ये बात अलग है आज तक बहुत कम हत्या के आरोपी पकड़ाने के बाद साधारण रूप से चार पांच साल तक तो जमानत ही नहीं पाते है। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और सीसीटीवी के दायरे में आए साक्ष्य परिस्थितियां स्वय बोलती है(res ipsa loquitur) के आधार पर ही अंतिम निर्णय होगा।

 ये तो ऑपरेशन हनीमून का मध्यांतर है।

मध्यांतर के बाद सस्पेंस थ्रीलर फिल्म का  सामाजिक पक्ष सामने आता है। राजा रघुवंशी  का परिवार आक्रोशित होकर सोनम की तस्वीरों का दहन करती है। समाज सोनम के परिवार को जात बाहर करने के लिए उद्वेलित होता है।आरोपी राज की गरीब मां अबतक ये नहीं मान पा रही है कि  कभी दिन में कपड़ा दुकान में सेल्समैन  और सुबह पेपर बांटने के बाद सोनम के परिवार में अदनी सी नौकरी कर  बिना पिता के परिवार का पालन पोषण करने वाला राज एक निरीह राजा की हत्या में साझेदार है।

 महाभारत के प्रसंग में द्रौपदी  कृष्ण को गोविंद कहती थी।द्रौपदी के हर मुश्किल में गोविंद खड़े रहते थे।गोविंद ने द्रौपदी को ये भी समझाया था कि अपनी महत्वाकांक्षा  के चलते तुम्हे नुकसान होगा तब मैं तटस्थ रहूंगा।

 ऐसी ही परिस्थितियों में एक शख्सियत उभरता है वह है सोनम का भाई, गोविंद जिसे जब तक सच का पता नहीं था तब तक भाई होने का धर्म निभाया।बरसते पानी में बहन को खोजा, न जाने कहां कहां दौड़ा। गाजीपुर से सोनम के फोन करने पर पुलिस को सूचना देने की नसीहत इसी भाई की ही थी। सोनम के राजा के हत्या में सूत्राधार होने का सच सामने आने पर  मृत राजा रघुवंशी के घर जाकर  राजा की मां से मिलना,  बहुत ही बड़े संवेदना का उदाहरण है।जरा सी बात पर संबंधों में कड़वाहट लाना, बोलचाल बंद कर देना,रिश्ता तोड़ देना सामान्य बात हो चली है ऐसे में अपनी ही बहन के द्वारा  हत्या कर देने के बाद पीड़ित परिवार के घर जाना अदम्य साहस ही है। अपने बेटे, भाई  और रिश्तेदार के हत्या के चलते एक परिवार का हत्या करने वाली लड़की के परिवार के प्रति आक्रोश, नफरत होता ही है।इनकी परवाह किए बगैर आरोपी सोनम के भाई  गोविंद का राजा के घर जाना, दुख को आत्मसात करना और अपनी बहन से रिश्ते खत्म करने की बात के अलावा मृत  राजा को न्याय दिलाने के लिए खुद को समर्पित करना निश्चित रूप से सोनम के भाई को बहुत ही बड़ा बना दिया है।

आप सोचिए कि कितनी विपरीत परिस्थिति में सोनम के भाई ने निर्णय लिया होगा।ये जानते हुए कि जिस प्रकार दुर्योधन के मारे जाने पर धृतराष्ट्र भीम को गले लगाकर मार देना चाहते थे वैसी ही परिस्थिति सोनम के भाई के लिए भी थी। निर्विकार भाव से किया गया साहस नफरत के जंगल में अपनत्व का एक बीज प्रस्फुटित करता तो है। सचमुच, गोविंद ने अपने नाम को सार्थक कर दिया। एक बहन, जो जब तक जानकारी में अगवा थी, भाई  ने उसके जिंदा होने या मरने की सत्य में लाश को पाने के लिए जी जान लगा दिया। इसी बहन के राजा की हत्या  में शामिल होने का सच जानकर कितने कड़े मन  से सालों राखी बांधने वाली बहन से रिश्ते खत्म करने की बात कहने वाला "गोविंद" ही हो सकता है। मै बड़े आदर,सम्मान,और श्रद्धा से इस आधुनिक गोविंद के सामने नत  मस्तक हूं

संजय दुबे 

7415553274

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