भूपेश को चौतरफा घेरने में लगी भाजपा...
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश वघेल को घेरने में लगी भाजपा ने अब नया दांव खेला है, क्या इस नये दांव में भूपेश बघेल भाजपा के घेरे में आ जायेंगे या फिर भूपेश बघेल को बदनाम कर यह राजनीति साधने का सिर्फ जरिया मात्र बनकर रह जायेगा।
राजनीति के जानकारों का अपना अपना दावा है, लेकिन भूपेश सरकार के दौरान हुए घपले-घोटालों को लेकर विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी-शाह के जो तेवर थे, वह कुंद पड़ गया है कहा जाय तब भी ग़लत नहीं होगा।
करोड़ो रूपये के कोयला और शराब घोटाले में कार्रवाई तो जरूर हुई है लेकिन इस कार्रवाई को लेकर कई तरह के सवाल भी उठने लगे है। भाजपा लगातार दावा करती रही कि भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जायेगा। गृह मंत्री अमित शाह तो एक कदम आगे बढ़कर भ्रष्टाचारियों को उल्टा लटकाकर सीधा कर देने का दावा करते रहे लेकिन इन दोनों मामलों में कार्रवाई पर नजर डाले तो गिरफ्तारी से आईपीएस अफसरों और बड़े नेताओ को छोड़ दिया गया है। यहां तक की कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल को भी अभी तक ढूंढा नहीं जा सका है जबकि पूर्व मुख्यमन्त्री भूपेश बघेल से तार जुड़े होने का दावा मी धरातल पर दिखाई नहीं दे रहा है।
कहा जाता है कि यही स्थिति महादेव एप के मामले में भी बन गई । इस मामले में भी अब तक केवल छोटी मछलियों पर ही कार्रवाई की गई है। कहने को तो महादेव एप से जुड़े तीन सौ लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है. कुछ लोगों को तो नौकरी से बखस्ति तक कर दिया गया है। लेकिन इस मामले में भी अब तक जिन्हें बड़ा खिलाड़ी बताया जा रहा था उनकी गिरफ्तारी तो दूर एफ़आईआर में नाम तक नहीं है।
कहा जाता है कि इस मामले में भी आईपीएस अधिकारियों को बख्श दिया गया।
तब सीजी पीएससी घोटाले की जांच जब सीबीआई ने शुरू कर ही है तो क्या अब बड़े राजनेताओं पर गिरफ्तारी का फन्दा कसेगा ।
सीबीआई सूत्रों की माने तो पीएससी घोटाले को लेकर दर्ज एफ आई आर में भी किसी नेता का नाम नही है। हालांकि सीबीआई ने जाँच कल ही शुरू की है और उसने शुरुआती कार्रवाई में पीएससी के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, सचिव जीवन किशोर ध्रुव और परीक्षा नियंत्रन वासनिक के घर और दफ्तर में कागजात जब्त किये है।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस पूरे खेल में कोई राजनैतिक ध्येय छिपा है और आईपीएस और नेताओ को छोड़ा गया है।
इधर सूत्रों का दावा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को घेरे में लेने की कोशिश अब अंतिम चरण में है और इसके बाद क्या होगा यह देखना होगा।
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