दुविधा के दो घंटे मचता रहा हडकम्प...
बिलासपुर कमिश्नरी प्रभारी के हवाले
छत्तीसगढ़ के सबसे महत्वपूर्ण संभागों में से एक बिलासपुर संभाग अब प्रभारी कमिश्नर के हवाले कर दिया गया है। रायपुर के कमिश्नर महादेव कावरे के पास यह अतिरिक्त प्रभार आया है तो यह कावरे की काबिलियत है, वरना रिमोट से चलने के आरोप से जूझ रहे विष्णुदेव साय सरकार के सामने यह स्थिति कभी पैदा नहीं होती।
कहा जाता है कि बिलासपुर के एक दबंग नेता ने जब विछले हफ्ते सीधे मुख्यमंत्री से मिलकर कहा था कि नीलम नामदेव एक्का नहीं चलेगा तभी से उसकी बिलासपुर से छुट्टी तय हो चुकी थी, अब लोग सोच रहे होंगे कि आखिर कमिश्नर इतना प्रभावशाली पद कब से हो गया कि जन नेता उसके रहने या नहीं रहने को लेकर चिंता करने लगे। लेकिन जो लोग जमीन के कारोबार में है उनके लिए कमिश्नर क्या मायने रखता है ये वहीं जानते हैं। आम आदमी के लिए भले ही कमिश्नर का कोई मतलब न हो।
तो इस तय छुट्टी के तहत हफ्ते भर में यह तय कर दिया गया कि नीलम की जगह जनक पाठक को बिठाया जाये। कहते हैं जनक पाठक के नाम पर बिलासपुर के इस नेता ने सहमति दे दी तो आदेश जारी करने का फरमान सुना दिया गया ।
लेकिन जैसे ही आदेश जारी हुआ, रायगढ़ में हड्कंप मच गया और धनधनाते मोबाईल की घंटियों के बीच फरमान आया। जनक पाठक यही अच्छा काम कर रहे हैं, उनके काम से धन-धान्य की कोई कमी नहीं हो रही है। पार्टी को हो नहीं पार्टी से जुड़े लोगों का भी मुनाफ़ा बढ़ रहा है। कमिश्नरी बिल्कुल भी नहीं भेजा जाये ।
सुपर सीएम की तर्ज पर आये इस फ़रमान से मंत्रालय में हड़कम्प मच गया । नीलम को वापस भेजा नहीं जा सकता था, जनक को भेजना नहीं है तो बिलासपुर के राजस्व मामले को निपटराने में महादेव कावरे की काबिलियत पर किसी को शंका होनी नहीं चाहिए तो फैसला आ गया।
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