सोमवार, 26 मई 2025

103 की उम्र में बरी, 43 साल जेल में बिताये…

 103 की उम्र में बरी, 43 साल जेल में बिताये…


तारीख़ पर तारीख़, जेल में सड़ जाओगे, क्या यह भारतीय न्याय व्यवस्था की पहचान बन चुकी है, जेल में सड़ा देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने Ed से लेकर दूसरी एजेंसियों को फटकार भी लगाती रही है, लेकिन कुछ मामले इतने हैरत अंगेज़ होते है कि इतिहास में दर्ज हो जाता है । ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश का है…

यह 103 वर्ष के एक ऐसे व्यक्ति की ख़बर है  जिसे 43 साल तक जेल में रखा गया और 43 साल जेल में रहने के बाद अदालत ने अब उसे बाइज़्ज़त बरी कर दिया है, जब उसकी उम्र 103 वर्ष हो चुकी है।

ख़बर लखन पुत्र मंगली की है, जो उत्तर प्रदेश की कौशांबी जेल से बाहर आए हैं। 43 साल लखन ने इसी जेल में बिताए और अब अदालत ने उसे बाइज़्ज़त बरी कर दिया। लखन को हत्या के आरोप में वर्ष 1977 में गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। 5 साल के बाद, उन्हें 1982 में निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। लखन का कहना था कि वह निर्दोष है। इसलिए 1982 में ही उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी सजा के खिलाफ एक अपील दायर की।

लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसकी विवेचना ज़रूर होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने लखन की इस याचिका को स्वीकार तो कर लिया, लेकिन यह मुकदमा जानते हैं कितने साल तक चला? 43 वर्ष तक यह मुकदमा चला और इन 43 सालों में लखन जेल में ही बंद रहा। अंततः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 मई 2025 को उन्हें बाइज़्ज़त बरी किए जाने का आदेश दिया और लखन को रिहा किया गया।


103 वर्ष की उम्र में ये बुजुर्ग अब इस अवस्था में जाकर रिहा हुए हैं।

यह शायद भारतीय इतिहास में न्यायालय और फ़ैसले के रूप में दर्ज होगा

यदि रिकॉर्ड की बात करें तो शायद यह विश्व रिकॉर्ड भी हो सकता है 

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