मंगलवार, 24 जून 2025

चुनाव आयोग क्यों डर रहा…

चुनाव आयोग क्यों डर रहा…



जब से राहुल गांधी की लिखी चिट्ठी ने चुनावी प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाया है तब से चुनाव आयोग ही नहीं पूरा सिस्टम एक तनाव में नजर आ रहा है! 

आज चुनाव आयोग ने यह घोषणा की वीडियोग्राफी फोटोग्राफी और इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट के सारे डेटा सिर्फ 45 दिन तक सुरक्षित रखें जायेंगे!

उल्लेखनीय है कि पहले मतदान की प्रक्रिया जिसमे वोटर वोट डालता था 6 महीने से 1 साल तक सुरक्षित रखी जाती थी, इलेक्ट्रानिक मशीनों में 6 महीने से 1 साल तक डाटा सुरक्षित रखने की बात पहले चुनाव आयोग कहता था! 

चुनाव आयोग का तर्क है मतदाता की निजता और सोशल मीडिया के माध्यम से जो गलत खबरें चुनाव आयोग को लेकर फैलाई जाती है उसको रोकने के लिए ये कदम उठाए गए हैं! 

अगर 45 दिन तक सबूत के साथ चुनाव पर कोई याचिका दायर नहीं हुई तो यह डाटा डिलीट कर दिए जाएंगे! 

वीडियो फुटेज जो ऑन डिमांड दिए जाते थे वह भी ऑन जुडिशरी आर्डर दिए जाएंगे अगर 45 दिन में यह सब कुछ नहीं हुआ तो डाटा डिलीट कर दिया जाएगा! 

जिस देश मेंअदालत की इतनी पेंडेंसी हो और सामान्य न्याय के लिए भी वर्षों लग जाते हैं कैसे संभव होगा की 45 दिन में संबंधित न्यायालय शिकायतों पर विचार कर पाएगा! सूचना  के अधिकार के तहत मांगी गई सूचनाए साल साल भर तक सुनी नहीं जाती वहां पर 45 दिन का यह प्रावधान क्या पार दर्शित का गला घोंटने की कोशिश नहीं?

चुनाव आयोग के इन बदलावों पर सारे राजनीतिक दल हमलावर है और इसे पारदर्शिता के प्रति कुठाराघात मान रहे हैं!

जिस लोकतंत्र के लिए चुनाव हो रहे हैं उस लोकतंत्र में आपको सवाल पूछने की आजादी तो है पर जवाब दिया जाए जरूरी नहीं है !


दरअसल चुनाव भी अब तकनीक का खेल हो गया है और इसलिए प्रक्रिया सिस्टम कैसे हैक किया जाए उसे लेकर रोज नई-नई योजनाएं बनाई जाती है !


राहुल गांधी के आरोपो के बाद जो पुराना सिस्टम हैक करने का तरीका था उसकी परत खुल जाने की वजह से अब सत्ता को और सत्ता के गुलाम चुनाव आयोग को नई तकनीक का उपयोग करने पर मजबूर होना पड़ा है! 


यह विमर्श तो आम है की चुनाव आयोग पर भरोसा खत्म हो गया है और आज इस बात को फिर से बल मिला है! 

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लेकिन चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव के पहले भी 10 महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं! 


1_ ई वोटिंग की शुरुआत बिहार चुनाव में अब आप E वोटिंग कर सकते हैं घर बैठे लेकिन सवाल यह है कि जो लोग शहरों में रहते हैं जिनके पास स्मार्टफोन है वहीं इसका लाभ उठा पाएंगे ग्रामीण क्षेत्रों में यह कितना उपयोगी होगा यह विश्लेषण का विषय होगा! और ई वोटिंग में मतदाता को डराने धमकाने या मजबूर करने और उसकी निजता के उल्लंघन की पूरी पूरी संभावना रहेगी!


2_ बायोमेट्रिक सिस्टम से मतदाता पहचान जाएगा मतलब जब मतदाता मतदान करने  जाएगा तो आधार कार्ड पर जो उसका अंगूठा है वही अंगूठे का निशान बायोमेट्रिक सिस्टम से मैच किया जाएगा पर सवाल यह है कि जब एक ही अंगूठे वाले बहुत सारे जगह पर मतदाता का नाम होगा तो उसे बायोमेट्रिक सिस्टम से चुनाव आयोग कैसे पहचानेगा कि यह डुप्लीकेट वोटिंग हो रही है! 


 3_  बदलाव जो चुनाव आयोग ने किया है वह यह है किai आधारित चैट बॉक्स पर मतदान की सूचनाओं दी जाएगी यहां पर भी एक सवाल हैai जेनरेटेड चैट box क्या सिर्फ मतदान की जानकारी देगा या मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए या प्रचारित करने के   के लिए किसी सत्ता का सहयोग करेंगे!


4_ E पास इशू किए जाएंगे, वृद्ध दिव्यांग या बीमार लोगों के लिए यह सुविधा दी जाएगी! इस सुविधा के लिए ऑनलाइन आवेदन करना पड़ेगा सवाल यह है जो लोग ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पाएंगे क्या वह सुविधा के अधिकारी नहीं होंगे! 


5_मतदान केंद्र की देखरेख के लिए ड्रोन सर्विलांस का उपयोग किया जाएगा मतलब आप आसमान से मतदान केदो पर नजर रखी जाएगी पर यदि कोई जमीन पर गड़बड़ हो रही है कमरे के अंदर तो बेचारा ड्रोन सर्विलांस क्या करेगा! 


6_ मतदान केदो में वृद्धि की जाएगी यह स्वागत योग्य बात है ताकि मतदान केंद्र पर किसी तरह की भीड़ नहीं हो लेकिन क्या यह भी तय किया जाएगा के मतदान केंद्र आसान पहुंच में हो सुलभ हो और बस्ती के पास हो!


7_मोबाइल ऐप से मतदान केदो की जानकारी दी जाएगी ताकि आप यह जान सके कि मतदान केंद्र पर कितनी भीड़ है और क्या आप समय पर वोट दे पाएंगे!


8_शिकायत निवारण में तेजी की जाएगी लेकिन चुनाव आयोग का जो वर्तमान का स्वरूप है उसमें बरसों बरस शिकायतें नहीं सुनी जाती क्या यह बदलाव सिर्फ कागजी रहेगा या व्यवहारिक रूप से परिवर्तित किया जाएगा? 


9_वृद्ध दिव्यांग या विशेष वर्गों के लिए रैंप बनाई जाएगी ताकि किसी तरह के असुविधा न हो यह स्वागत योग्य बात है! 


10_और अंतिम बदलाव यह है की सोशल मीडिया पर अंकुश लगाया जाएगा और सोशल मीडिया की मॉनिटरिंग होगी सवाल यह है की सोशल मीडिया को आप प्रतिबंधित करना चाहते हो पर टीवी मीडिया और प्रिंट मीडिया का लेकर कोई गार्ड लाइन नहीं है! (साभार)

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