दोस्त दोस्त न रहा…
दरअसल न तो ट्रंप किसी के दोस्त हो सकते हैं और न ही अमेरिका ? ऐसे में ट्रंप को जिताने के लिये जिस तरह से नमस्ते ट्रंप का नारा बेकार गया उसी तरह से एलन मस्क की दोस्ती भी छू हो गई । क्या होगा इसका दूरगामी परिणाम..
असल में दोस्ती बेहद ही नाजूक रिश्ता है, और यदि दोस्ती इसलिए हुई हो कि स्वार्थ पूरा हो तब इसका टूटना तय है और शायद यही वजह है कि अपनी दूसरी पारी में ट्रम्प ने इस दोस्ती की पोल खोल दी और न केवल मोदी सरकार बल्कि भारतीयों की बेइज्जत करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ा लेकिन मोदी ख़ामोश हैं । क्यों? ये बड़ा सवाल है ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि अपने उद्योगपति मित्र की वजह से क्या ब्लेकमेलिंग का शिकार हो रहे हैं
तो दूसरी तरफ़ एलन मस्क से भी ट्रंप के रिश्ते समाप्त होने की ख़बर हैं लेकिन मोदी की तरह मस्क चुप नहीं हैं बल्कि वे खुलकर सामने आ गये हैं।
हालाँकि दोनों तरफ से आरोपों की झड़ी लग चुकी है , एक दूसरे को बर्बाद करने की कस्मे खाई जा रही है। मस्क ट्रम्प पर महाभियोग चलाने के लिए कांग्रेस के सदस्यों से अपनी आत्मा जगाने की बात कर रहे है। ट्रम्प सरकारी ठेकों से मस्क को निकालने की बात कर रहे है।
इसी दौरान मस्क ने ' एप्सटीन ' फाइल को सार्वजनिक करने की मांग कर दी है। रंगीन मिजाज यौन अपराधी जेफ्री एप्सटीन ने आत्म हत्या कर ली है लेकिन उनके मुक़दमे से संबंधित दस्तावेजों में ट्रम्प का नाम भी आया है। ट्रम्प का चरित्र वैसे भी खुली किताब रहा है। आप चाहे तो दो और दो का जोड़ लगाकर अपनी राय बना सकते है !
दो भैंसों की लड़ाई में हमेशा घाँस कुचली गई है। कल डोजोन्स गिरकर बंद हुआ और टेस्ला के शेयर इतिहास में दूसरी बार 14 परसेंट हलके हुए। मस्क की दौलत के सागर से 34 बिलियन डॉलर की बूंद छलक गई।
है न ग़ज़ब क़िस्से, दोस्ती के ये दोनों क़िस्से इतिहास में दर्ज तो होंगे लेकिन इसे किस रूप में लिया जाएगा , कहना मुश्किल है।
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