मंगलवार, 3 जून 2025

G-7 में भारत को क्यों नहीं बुलाया…

 G-7 में भारत को क्यों नहीं बुलाया…


पहलगाम हमला के बाद से विश्व पटल में भारत की लगातार कमजोर होती स्थिति के बाद अब एक और झटका कनाडा ने दिया है। ट्रंप लगातार हमलावर है लेकिन मोदी सत्ता ख़ामोश है । ऐसे में दुनिया भर के देशों की यात्रा करने के बाद भी यदि भारत अलग थलग दिखाई देने लगा है तब सवाल यह है कि क्या खोखले दिखावे की पोल खुल चुकी है…

प्रधानमंत्री मोदी हर साल लाखों रुपये खर्च करके दुनिया के कोने-कोने में घूमते हैं, हाथ हिलाते हैं, गले लगाते हैं, सेल्फियाँ खिंचवाते हैं — लेकिन क्या भारत की असली विदेश नीति मजबूत हो रही है? अगर नहीं, तो फिर सवाल पूछना ही होगा।

इस साल G7 समिट की मेज़बानी कर रहा है कनाडा, और चौंकाने वाली बात ये है कि भारत को आमंत्रण ही नहीं मिला। मोदी जी जो पिछले छह वर्षों से लगातार G7 बैठकों में 'विशिष्ट अतिथि' बनकर गए, इस बार बाहर रह गए।

ये सिर्फ एक इन्विटेशन नहीं है — ये भारत की गिरती साख का तमाचा है।

एक समय था जब भारत को वैश्विक शक्ति माना जाने लगा था, "विश्वगुरु" कहने का भ्रम फैलाया गया था। पर सच्चाई ये है कि आज भारत अपने सबसे बड़े कूटनीतिक मंचों से बाहर हो रहा है, और ये प्रधानमंत्री की विदेश नीति की असफलता का जीता-जागता सबूत है।

क्या सिर्फ विदेश दौरों और भाषणों से ही राष्ट्र की प्रतिष्ठा बनती है? नहीं!

क्या "मन की बात" में अंतरराष्ट्रीय कूटनीति तय होती है? नहीं!

क्या विदेश नीति सिर्फ कैमरों के सामने गले लगने से बनती है? बिल्कुल नहीं!

आज जब भारत को G7 जैसे मंच से बाहर रखा गया है, ये सिर्फ एक अपमान नहीं — ये चेतावनी है।

अब वक्त है कि मोदी सरकार आत्ममंथन करे। दिखावे की कूटनीति से बाहर निकले और धरातल पर मजबूत, विश्वसनीय और संतुलित विदेश नीति बनाए। वरना ‘विश्वगुरु’ का ख्वाब, वैश्विक हंसी का पात्र बनता जाएगा।

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