मंगलवार, 1 मई 2012

पीडीएस का सच...


प्रदेश में पीडीएस सिस्टम पूरी तरह से राशन माफियाओं के हाथों में चला गया है।  कालाबाजारी के चलते आम लोगों को राशन नहीं मिल रहा है और सरकार अपने सिस्टम को सराहते नहीं थकती।
पाटन के झीट और खुड़मुड़ी मेंं खाद्य विभाग के दावे के बाद इस बात के खुुलासा हुआ है कि किस तरह से राशन माफिया आम लोगों के हक का अनाज बेच खा रहा है। महिला सोसायटी के नाम से चल रहे राशन दुकान कोई और चला रहा था। पूरे प्रदेश में कमोबेश यही स्थिति है।
पीडीएस को लेकर सरकार कितना भी दावा करले लेकिन आम लोगों के अनाज की कालाबाजारी हो रही है। पूरे प्रदेश में सरकार ने महिला स्व समिति समूह को बड़े पैमाने पर राशन दूकानों का आबंटन किया है लेकिन अधिकांश जगह दूकानें कोई और चला रहा है। और गरीबों के चावलों का खुलेआम कालाबाजारी की जा रही है। फर्जी कार्ड बड़े पैमाने पर बनाये गये हैं। और राशन माफियाओं के दादागिरी से गंाव वाले त्रस्त है। रामसागर पारा में एक राशन माफिया तो सौ से उपर दूकान चलाता है लेकिन इसके खिलाफ कभी कार्रवाई नहीं होती। यही स्थिति प्रदेश भर मेंं है।
कल झीट में छापामारी के दौरान भिलाई के नीरज मेघवानी का नाम सामने आये। महिला स्व सहायता समूह को आबंटित इस दूकान का संचालन नीरज द्वारा किया जाता रहा है। कहा जाता है कि नीरज और भी कई जगह के दूकान का संचालन करता है।
रायपुर की राजधानी में भी यही स्थिति है। खुलेआम कालाबाजारी हो रही है। बूढ़ापारा के एक आटाचक्की तो राशन के चावल पीसने के लिए पूरे मोहल्ले में चर्चित है।
इस पूरे मामले में सोसायटी, राशन माफिया, ट्रांसपोटर्स की मिली भगत स्पष्ट रुप से दिख रही है लेकिन खाद्य अमले को तो केवल कमीशन से मतलब है इसलिए कहा जाता है कि छापा वहीं डाला जाता है जब कमीशन बढ़ानी हो।
खाद्य अमले और राशन माफियाओं के संाठ-गांठ में चल रहे इस खेल में पार्षदों, सरपंचो के अलावा बड़े अधिकारियों की मिली भगत है और जिस हिसाब से यहंा राशन माफिया सक्रिय है आने वाले दिनों में इसके गंभीर परिणाम होंगे।
हम यह नहीं कहते कि सरकार के सिस्टम में खोंट है लेकिन जिस तरह की बात सामने आ रही है और सीएजी ने जिस तरह से टिप्पणी की है उसके बाद तो सरकार को सबक लेना चाहिए।
                                     

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