बुधवार, 17 नवंबर 2010

मोहन-मूणत में जंग

 राजधानी के दो मंत्रियों बृजमोहन अग्रवाल और राजेश मूणत में जंग छिड़ गई है। एक दूसरे को निपटाने के फेर में भले ही बृजमोहन अग्रवाल भारी पड़ रहे हो लेकिन आने वाले दिनों में इसका खामियाजा पार्टी को भोगना पड़़ेगा। कहा जा रहा है कि दोनों मंत्रियों की लड़ाई की असली वजह वर्चस्व स्थापित करना है। चूंकि कमल विहार योजना में वे भूमाफिया सीधे प्रभावित हो रहे थे जिन पर दमदार मंत्री का वरदहस्त है। मोहन-मूणत की इस जंग के चलते बूढ़ातालाब दलदल में तब्दिल होता जा रहा है।
वैसे तो मोहन और मूणत के बीच कभी नहीं पटी। बृजमोहन अग्रवाल की कार्यशैली से असंतुष्ट संगठन खेमे के राजेश मूणत ने भले ही पार्टी हित में बृजमोहन का खिलाफत नहीं किया हो लेकिन दोनों के बीच राजनैतिक शुत्रता जग जाहिर है। कहा जाता है कि खरीद फरोख्त और मैनेजमेंट में कांग्रेसियों तक को अपने पाले में करने वाले बृजमोहन अग्रवाल ने राजेश मूणत को पटकनी देने कई दांव खेले हैं। राजेश मूणत जब पीडब्ल्यूडी मंत्री थे तब भी सर्किट हाउस सहित अन्य मामले को लेकर बृजमोहन अग्रवाल की भूमिका पर संदेह किया जाता रहा है। यहां तक कि विधानसभा चुनाव के दौरान भी बागी भाजपा नेता वीरेन्द्र पाण्डे को मदद करने का अफवाह भी उड़ा।
सूत्रों की माने तो नई राजधानी के कार्यक्रम के अलावा दोनों के बीच कई बार झड़पे हो चुकी है। ताजा मामला बूढ़ातालाब के सौन्दर्यीकरण और कमल विहार योजना को लेकर है। बताया जाता है कि बूढ़ातालाब के सौंदर्यीकरण का काम बृजमोहन का विभाग पर्यटन के जिम्मे है लेकिन दोनों की राजनैतिक लड़ाई के चलते बूढ़ातालाब के रखरखाव व सौंदर्यीकरण का कार्य रुक गया है। तालाब की हालत किसी से छिपी नहीं है। पर्यटन मंडल में व्याप्त भ्रष्टाचार भी किसी से छिपा नहीं है। विवादास्पद अफसरों को प्रश्रय देने की वजह से बृजमोहन अग्रवाल हमेशा ही विवादों में रहे है। नेता प्रतिपक्ष के चयन के दौरान भी बृजमोहन अग्रवाल पर तोडफ़ोड़ करने का सीधा आरोप लगा था और बूढ़ातालाब के प्रति बेरुखी को लेकर भी बृजमोहन अग्रवाल सीधे कटघरे में है।
इधर कमल विहार योजना को लेकर मोहन-मूणत में सीधे जंग छिड़ गई है। बताया जाता है कि राजेश मूणत को नीचा दिखाने के फेर में कमल विहार योजना को हथियार बनाया गया है। महेन्द्र से लेकर बसंत सेठिया जैसे भूमाफिया को के नाम उछल रहे थे जिन्हें दमदार मंत्री का समर्थक माना जाता है। बताया जाता है कि हड़बड़ी में लागू की गई इस महत्वपूर्ण योजना में कई गलतियां हुई और इसी का फायदा उठाते हुए इस योजना को हथियार बनाया गया।
सूत्रों की माने तो मोहन-मूणत में अब खुलकर जंग छिड़़ गया है और आने वाले दिनों में यह सडक़ पर भी आ सकता है। इधर कमल विहार योजना पर ब्रेक लगने को लेकर भूमाफियाओं में जहां खुशी की लहर है वहीं आम लोगों ने भी राहत की सांस ली है।

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