रविवार, 30 दिसंबर 2012

अवैध निर्माण बना कमाई का जरिया ...


छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को सुंदर बनाने की जिम्मेदारी जिन पर है वे ही निगम को चूना लगाने आमदा है । बजबजाती नालियां, भयंकर धूल और खौफनाक म'छर राजधानी की पहचान बन चुका है । कभी धूल मुक्त शहर का दावा करने वालों को जनता ने धूल चटा ही । इसके बाद भी हालात कुछ नहीं बदला है ।
बेतरतीब निर्माण ने तो शहर को बेढंगा कर ही दिया है इसकी वजह से यातायात की समस्या भी शहर वालों को झेलना पड़ रहा हैं । निगम के अधिकारियों से तो इन अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद ही बेमानी है और जिन पाषदों पर उम्मीद की जा रही है वे भी ऐसे अवैध निर्माण को कमाई का जरिया बना चुके है ।
यहां तक कि इन अवैध निर्माण करने वालों से मंत्रियों तक पैसा पहुंचाने की चर्चा गरम है ।
शहर के ह्दय स्थल माने जाने वाले जयस्तम्भ चौक में स्थित किरण बिल्डिंग को लेकर क्या कुछ नहीं हुआ । नक्शे के विपरित निर्माण से लेकर नियम-कानून की ध"िायां उड़ाते यह अब भी वैसा ही खड़ा है । पहले तो जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई करने का बहाना बनाया गया और जब जांच रिपोर्ट आ गई तब भी कुछ नहीं हो रहा है । कमिश्रर से लेकर महापौर सहित तमाम जिम्मेदार लोगों पर पैसों को लेकर उंगलिया उठ रही है । हल्ला मचाने वाले भाजपाई भी खामोश है और वार्ड पार्षद को तो मानों इससे कोई मतलब ही नहीं है ।
जब शहर के जयस्तम्भ जैसी जगह का यह हाल है तो आसानी से समझा जा सकता हे कि दूसरे काम्प्लेक्सों का क्या हाल होगा । कार्रवाई नहीं करने का मतलब  साफ है कि तिजोरियां भरी जा रही है । Óयादा दिन नहीं हुए है शंकर नगर में राजकुमार चोपड़ा के काम्प्लेक्स की दूकानों पर सील लगाई गई थी । मंत्री राजेश मूणत तक नाराज थे । क्रिस्टल टावर का भी यही हाल था । सील लगाई गई । फिर खोल दी गई । सील खोलने के एवज में क्या सौदा हुआ । कोई नहीं जानता । पार्किंग की समस्या यथावत है काम्प्लेक्स नियम कानून को चिढ़ाते खड़े है । पार्षद बनते ही जिन्दगी बदलने लगी । गाडिय़ां खरीदी जा रही है । क्या-कांग्रेस और क्या भाजपा, निर्दलीय तो पहले ही सौदेबाजी कर मजे में है ।
शहर का बुरा हाल हे । निगम राजनीति का अड्डा बनते जा रहा है । विकास में बाधा के लिए एक दूसरे के सिर ठिकरा फोड़ा जा रहा है लेकिन धूल और म'छर से परेशान जनता की पीड़ा कोई नहीं देख रहा है । नगर निगम पहले दिन घोषणा करता है कि सड़कें नहीं खोदने दी जायेगी दूसरे दिन पुलिस वाले मोतीबाग के पास धड़ा-धड़ सड़क खोदते है । कुछ नहीं होता है।
धर्मार्थ के नाम पर बिल्डिंग बन गई है लेकिन यहां खुले आम दूकानदारी चल रही है लेकिन निगम को यह सब देखने की फुरसत  ही नहीं है । सच तो यह है कि टैक्स बचाने के एवज में भी पैसे वसूले जा रहे है ं ।
राÓय बनने के बाद से निगम की राजनीति में जबरदस्त गिरावट आई है । लाखों रूपए चुनाव में खर्च किये जा रहे हैं । लोग हैरान है कि पार्षद जैसे पद के लिए लाखों खर्च करके चुनाव जीतने की कोशिश क्यों हो रही है ।
बैजनाथ पारा के उपचुनाव में तो एक मंत्री द्वारा 60-70 लाख रूपये खर्च करने की चर्चा है । खर्च तो कांग्रेसीयों ने भी कम नहीं किया है । इतने खर्च के बाद क्या जन सेवा होगी । आसानी से समझा जा सकता है ।
मूंदी आंख से ..
बैजनाथ पारा में पार्षद उपचुनाव में भले ही मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच कही जा रही हो लेकिन वास्तव में कांग्रेस यहां अपने ही लोगों से मुकाबले पर नजर आ रही थी । ढेबर गुटको पटकनी देने कौन सा गुट सक्रिय था और वह कितना कारगर होगा यह तो वक्त की बात है लेकिन भाजपाई भी अपने मंत्री की रूचि से हैरान थे ।

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