शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

भाजपा की हैट्रिक में आधा दर्जन मंत्री सहित दो दर्जन विधायक बन रहे हैं रोड़


छत्तीसगढ़ में कोयले की कालिख पूते चेहरे के साथ हैट्रिक की तैयारी में भाजपा के सामने सबसे बड़ी दिक्कत उनके अपने मंत्री और विधायकों की करतूतों से होने लगी है। एक सर्वे ने जहां संघ की नींद उड़ा दी है वहीं इनकी टिकिट काटने की भी अंदरुनी चर्चा चल रही है। पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश नड्डा के बस्तर प्रवास के तुरंत बाद मुख्यमंत्री से हुई भेंट को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में कोयले की कालिख पूते चेहरे के साथ हैट्रिक की तैयारी में भाजपा के सामने सबसे बड़ी दिक्कत उनके अपने मंत्री और विधायकों की करतूतों से होने लगी है। एक सर्वे ने जहां संघ की नींद उड़ा दी है वहीं इनकी टिकिट काटने की भी अंदरुनी चर्चा चल रही है। पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश नड्डा के बस्तर प्रवास के तुरंत बाद मुख्यमंत्री से हुई भेंट को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगी भाजपा में हैट्रिक को लेकर जबरदस्त उहापोह है। रमन सरकार की हैट्रिक के लिए निजी कम्पनी से भी सर्वेक्षण भी कराया गया है ताकि सत्ता विरोधी कारणों को दूर किया जा सके। बताया जाता है कि संगठन स्तर पर कार्यकर्ताओं से मिलकर कार्यकर्ताओं से मिलकर भी एक रिपोर्ट बनाई गई है और दोनो ही रिपोर्ट में सबसे Óयादा एकरुपता इस बात की है कि यदि आधा दर्जन मंत्रियों सहित दो दर्जन विधायकों कि टिकिट नहीं काटी गई तो हैट्रिक तो दूर की बात शर्मनाक स्थिति भी आ सकती है। कोयला घोटाले के अलावा भ्रष्टाचार के मुद्दे को प्रभारी को बताया गया है। उद्योगपतियों और अधिकारियों की मनमानी पर भी तीखी टिप्पणी की गई है। यही नहीं संकल्प पत्र में शिक्षा कर्मियों के संविलियन,किसानों को 270 रुपए बोनस और बेरोजगारी भत्ता को पूरा नहीं करने से होने वाली दिक्कत को भी रेखांकित किया गया है। जबरिया जमीन अधिग्रहण को लेकर भी सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। यही नहीं सतनामी समाज व साहू समाज की नाराजगी को भी रिपोर्ट में जगह दी गई है।
सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट में सर्वाधिक चौंकाने वाली बात मंत्रियों  और विधायकों  को लेकर है। कहा जाता है कि आधा दर्जन मंत्रियों सहित दो दर्जन विधायकों के रिपोर्ट कार्ड बेहद खराब हैं और इन्हे टिकिट दी गई तो पार्टी को शर्मनाक से गुजरना पड़ सकता है।
रिपोर्ट को लेकर सूत्रों का दावा है कि आदिवासी ही नहीं सामान्य वर्ग के कुछ मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड को बेहद खराब बताया जा रहा है। वहीं विधायकों में बस्तर संभाग से 5, बिलासपुर एवं अम्बिकापुर संभाग से एक दर्जन और रायपुर संभाग से आधा दर्जन विधायकों की रिपोर्ट को बेहद खराब बताया गया है। जिसमें महिला विधायक भी शामिल है।
सूत्रों का कहना है कि कार्यकर्ताओं ने कार्यकर्ताओं ने मंत्रियों एवं विधायकों की करतूतों की जमकर शिकायत की है। खासकर बस्तर और रायपुर संभाग में कई कार्यकर्ताओं ने साफ़ तौर पर कहा है कि यदि कुछ विधायकों को दोबारा टिकिट दी गई तो वे काम ही नहीं कर पाएगें।
इधर इस रिपोर्ट के आने के बाद से भाजपा संगठन ही नहीं सरकार में भी हड़कम्प मचा हुआ है और कहा गया है कि बजट सत्र के बाद न केवल प्रशासनिक फ़ेरबदल बल्कि मंत्री स्तर पर भी फ़ेरबदल में कड़ा रुख अख्तियार किया जा सकता है।
हांलाकि सरकार के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह स्वयं कोल घोटाले, अमन सिंह की प्रतिनियुक्ति सहित कई मामले से उबर नहीं पा रहे हैं। जबकि संगठन के अस्तित्व को लेकर भी कार्यकर्ताओं में चर्चा कम नहीं है। कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग मानता है कि यदि संगठन खेमे ने सरकार पर दबाव नहीं डाला तो हैट्रिक की मंशा पूरी होना मुश्किल है।
बहरहाल रिपोर्ट से सरकार में हड़कम्प है और आने वाले बजट में इससे निपटने की कोशिश साफ़ दिखेगी।

1 टिप्पणी:

  1. छत्तीसगढ़ सरकार की स्थिति किसी से छिपी हुई नहीं है। जिस तरह मीडिया के मार्फत नेता अपने आपको सुपरहीरो साबित करने में लगे हैं, इसका असर जाहिर तौर पर अगले विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा।
    लेख अच्छा लगा। बधाई।

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