बुधवार, 24 अक्तूबर 2018

सिसकता लोकतंत्र

शुरुआत कंहा से करूँ ? सत्ता का जंग छिड़ चूका है।  संगठित गिरोह की तरह प्रदेश को लुटने की रणनीति में सारे मुद्दे गौण होने लगे हैं। छल प्रपंच , आरोप-प्रत्यारोप , साम दाम दंड भेद , सब तरह के तीर चलने लगे हैं , और लोकतंत्र फिर भी जीवित है , भीष्म की मृत्यु शैय्या की तरह। 
शुरुआत अजित जोगी की नई पार्टी बनाकर मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के खिलाफ चुनावी बिगुल फूंकने फिर नाम वापसी की नौटंकी से करूँ या सरकार के द्वारा अचानक बोनस बंद और शुरू करने के गफलत से।  कांग्रेस के सीडी कांड से या बलौदाबाजार जिले के एस डी एम तीर्थराज अग्रवाल के द्वारा  मासूम बच्चों  को पीटने  स्वयं लाठी भांजने से शुरू करू। 
शुरुआत विकास के नाम पर ठगे जा रहे आम लोगो से या आरोप लगाते विरोधियो के सत्ता की गलबहियां से। कंही से भी शुरुआत की जा सकती है , 

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