बुधवार, 14 जुलाई 2021

मोदी सत्ता में हत्यारे, डकैत मंत्री...

 

बंगाल के राजनैतिक हिंसा पर बवाल काटने वाले हिन्दूवादी जब उत्तरप्रदेश के चुनावी हिंसा पर चुप्पी ओढ लेते है तो इसका मतलब साफ है कि वे केवल दूसरों के पाप गिनाकर अपना पाप धो लेना चाहते हैं। यह बात हम दावे के साथ इसलिए कह रहे हैं कि राजनैतिक हिंसा को लेकर भारतीय जनता पार्टी ही नहीं तमाम राजनैतिक दलों का नजरिया इसी तरह का है। नहीं तो भाजपा में आपराधिक सांसदों की संस्था सौ से अधिक नहीं होती और न ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में 33 मंत्री आपराधिक पृष्ठभूमि के ही होते।

जब देश के मंत्रिमंडल में ही 33 मंत्री आपराधिक श्रेणी के हो और उनमें से दर्जनभर मंत्रियों पर हत्या, हत्या के प्रयास और डकैती जैसे अपराध दर्ज हो तब सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सत्ता की मंशा क्या है। बंगाल और उत्तरप्रदेश में व्यापक स्तर पर हुई हिंसा ने सााबित कर दिया है कि राजनैतिक दलों का ध्येय हर हाल में सत्ता हासिल करना है और इसके लिए कुछ भी किया जा सकता है। तब सवाल यह है कि आखिर देश का युवा क्या कर रहा है, क्या उसकी हैसियत केवल राजनैतिक दलों के लिए रोजी में काम करना रह गया है, क्या वे सिर्फ दिहाड़ी मजदूर रह गये हैं जो चुनाव में अपनी रोजी लेकर चुपचाप सत्ता की करतूतों का तमाशा देखे।

पिछले सात साल की सत्ता की बात नहीं है, उससे पहले भी आप भातीय जनता पार्टी में अपराध-पूंजी के गठजोड़ को देख सकते हैं। पद को लेकर भाजपा में  भी हिंसा की लंबी फेहरिश्त है, लेकिन घटना के बाद आरोपियों को टिकिट देने और महत्वपूर्ण पदों पर बिठाने का खेल चलता रहा है।

और अब जब अगले साल 11 राज्यों में चुनाव होने जा रहा है तो महंगाई, बेरोजगारी, किसान आंदोलन की बजाय हिन्दू-मुस्लिम मुद्दा बनाने की कोशिश जोर शोर से हो रही है। वाट्सअप यूर्निविसटी और ट्रोल आर्मी सक्रिय हो चुका है और वे महंगाई से ज्यादा जरूर हिन्दुत्व की रक्षा को जरूरी बताने ऐसे ऐसे झूठ परोस रहे हैं जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। ऐसे में यह सवाल जरूर उठाना चाहिए कि जब सत्ता में हत्या और डकैती के आरोपी बैठे हो, लालबत्ती के धमक से प्रशासन को हांक रहे हो तो फिर आम आदमी को क्या करना चाहिए। हत्यारे और डकैतों की सत्ता से हिन्दुत्व की रक्षा कैसे होगी?

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