रविवार, 18 जुलाई 2021

लालबत्ती और फूल छाप

 छत्तीसगढ़ की बात -1


छत्तीसगढ़ में निगम मंडल में नियुक्ति को लेकर एक बार फिर कलह होने लगा है जिसे नहीं मिला है वे एक और सूची की प्रतिक्षा में है तो जिन्हें दे दिया गया है उनके नामों को लेकर कई तरह का विवाद है, जूनियर-सीनियर का चक्कर भी जबरदस्त है। ऐसे में इस सूची को लेकर जो अंधा पीसे कुत्ता खाये की बात कर रहे है वे जान ले कि कांग्रेस में यह परम्परा है।

कांग्रेस में जब भी जिसकी चली उसने अपनी नंगी चलाया है विद्याचरण शुक्ल के समय की कहानी कौन नहीं जानता, अर्जुन सिंह ने तो शुक्ल बंधुओं के खिलाफ कमर कसने वाले पटवा चोर नाका चोर को भी प्रमुखता दी। स्वरुपचंद जैन पर अपने नौकरों और ड्रायवरों को प्राथमिकता देने तो मोतीलाल वोरा राज में सुभाष शर्मा के किस्से क्या कम थे। ऐसे में वर्तमान में जिनके पास ताकत है वे अपने ऐसे लोगों को निगम मंडल में बिठा रहे हैं जिन्हें कांग्रेस जानते भी नहीं तो इसे परम्परा मान कर भूल जाना चाहिए।

उधर राहुल गांधी जी गुस्से में हैं, उनका गुस्सा क्या रंग लायेगा यह तो पता नहीं लेकिन छत्तीसगढ़ में फूल छाप कांग्रेसियों की चर्चा नई नहीं है, जब कांग्रेस को जरूरत नहीं थई तब अजीत जोगी ने दर्जनभर भाजपा विधायकों को कांग्रेस में लाये थे लेकिन उनकी ताकत कितनी बड़ी यह 2003 के चुनाव परिणाम से अंदाजा लग गया था। राजधानी में तो फूल छाप कांग्रेसियों की लंबी फेहरिश्त है भाजपा के शहर विधायक बृजमोहन अग्रवाल की जीत के पीछे यही फूल छाप कांग्रेसी है।

और जब 15 साल के निर्वासन के बाद कांग्रेस की सत्ता आई है तब भी कई मंत्रियों के बंगले में फूल छाप वालों का प्रभाव खुली आंखों से देखा जा सकता है। एक मंत्री ने कांग्रेसियों को काम दिलाने का प्रयास किया तो पता चला कि कांग्रेसी नेता काम करना ही नहीं चाहते। वे पांच-पचीस के चक्कर में उन्हीं भ्रष्ट ठेकेदारों को काम दिलाने लगे जो भाजपा सरकार में भी ठेकेदारी कर रहे थे। ज्यादातर कांग्रेसियों को बड़ी गाड़ी में घूमना और जमीन का काम करना ही रास आता है।

कोरोना का खेल

कोरोना की तीसरी लहर की तमाम चेतावनी के बाद भी बाजारों में भीड़ बढऩे लगी है, भीड़ से उत्साहित डीएम ने नाईट कफ्र्यू हटा दी। बकरा बाजार हो या महंगाई के खिलाफ पदयात्रा सब जगह बगैर मास्क का काम चल रहा है। इसकी वजह पता करने पर ठीक-ठाक तो कोई  नहीं बता पाया लेकिन कहते है पीएम ने सीएम पर छोड़ा तो सीएम ने डीएम पर छोड़ दिया, अब डीएम तो जिले का राजा होता है और राजा कुछ भी करे कौन रोकेगा।

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