गुरुवार, 27 जून 2024

विरासत सँभाले या खुद को…

 विरासत सँभाले या खुद को…


शुक्ल बंधुओं की राजनीति को आगे बढ़ाने में लगे अमितेष शुक्ल की स्थिति इन दिनों इतनी खराब है कि घर में भी उनकी बातें नहीं सुनी जाने की चर्चा आम हो गई है।

एक समय था जब चाचा विद्याचरण की तूती पूरे देश में बोलती थी तो श्यामाचान शुक्ल का अपना प्रभाव था और उसी प्रभाव के चलते वे जब पहली बार राजिम से विधायक बने तो इस विरासत  को आगे बढ़ाने  का दावा भी किया जा रहा था, बावजूद इसके कि उसमें खाने-खजुआने के अलावा और कोई विशेष गुण नहीं है।

राज्य बनने के बाद तो जिस ताह से अजीत जोगी ने राजनीति की, उसे समझ पानी में अमितेष इस कदर मुश्किल में पड़ गये कि चुनाव ही हार गये। दोहजार अट्ठारह के चुनाव में कांग्रेस की लहर की वजह से पचास हजार वोट से जीत हासिल कर अपने को फिर से तुर्मखां समझने लगे। लेकिन रोहित साहू से फिर वे मात खा गये।

ऐसे में अब प्रतिष्ठा बचाने की बात तो दूर अगले चुनाव में टिकिट भी मिल पायेगी कहना मुश्किल है, तब निष्ठावान कार्यकताओं ने भी पल्ला झाड़‌ना शुरु कर दिया है। इसकी दो तरह की चाय के अलावा भी दूसरी वजह की चर्चा भी खूब जमकर चल रही है।अब अमितेश के सामने दिक़्क़त सिर्फ़ खाने की ही नहीं, निकालने की भी है…!

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