बुधवार, 10 जुलाई 2024

फजीहत करवा रहे रमन सिंह…

 फजीहत करवा रहे रमन सिंह 


कभी भारतीय जनता पार्टी के दिग्गाज नेताओं में शुमार और छत्तीसगढ़ में पन्द्रह साल सत्ता की बागडोर संभालने वाले डॉ. रमन सिंह क्या खुद अपनी फजीहत करवा रहे है।


यह सवाल इसलिए इन दिनों चर्चा में है क्योंकि लोगों ने मुख्यमंत्री रहते डॉ. रमन सिंह की धमक देखी है जो व्यक्ति स्पीकर से लेकर प्रदेश अध्यक्ष बनाता रहा हो उसे ही स्पीकर बना दिया जाए तो फिर अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्थिति क्या हो गई है।

ताजा मामला भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक का है। जिसे लेकर एक बार फिर डॉ. रमन सिंह की उपस्थिति को लेकर पार्टी के भीतर ही सवाल खड़े हो गये है कि उपस्थिति और क्रियाकलाप को लेकर पार्टी के भीतर ही चर्चा है कि मोदी-शाह ने डॉ. रमन सिंह की क्या स्थिति कर दी है।


दरअसल छत्तीसगढ़ की राजधानी मैं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठ को लेकर आयोजन स्थल दिनदयाल उपाध्याय स्टेडियम के सामने से गुजाने वाली जीईरोड में इस बैठक के आयोजन को लेकर पार्टी के नेताओं ने पोस्टर लगाये हैं।

मंत्री से लेकर विधायकों का अपनी तस्वीर के साथ पोस्टर लगाना तो समझ में आता है लेकिन यहि विधानसमा अध्यक्ष जैसे पद पर बैठे डॉ. रमन सिंह भी पोस्टर लगवाये तो पद‌ की गरिमा को लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है।

डॉ रमन सिंह ने जी ई रोड में पोस्टर तो लगवाया ही कार्यसमिति की बैठक में भी पहुंच गये।

विधानसमा अध्यक्ष  जैसे संवैधानिक पदो पर बैठा व्यक्ति यदि पार्टी के कार्यक्रमों में इस तरह हिस्सा ले तो सवाल उठना स्वाभाविक है।

हालांकि अभी तक डॉ रमन सिंह के पार्टी कार्यक्रमों में शामिल होने को लेकर कांग्रेस या दूसरे दलों की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

लेकिन इसे लेकर पार्टी के भीतर ही कई तरह की चर्चा  है। कहा जा रहा है कि डॉ रमन सिंह के बैठक  में शामिल होने को लेकर कई नेताओ में नाराजगी है तो कई ने कहा कि डॉ रमन सिंह जैसे नेता यदि  अपनी पदों की गरिमा न रख पाये तो फिर आम कार्यकर्ताओ से किस ताह की उम्मीद की जा सकती है।

इधर इस मामले में छीछालेदर से बचने मीडिया मैनेज भी कर रमन की उपस्थिति को खबर से ग़ायब करवाने का खेल कि भी चर्चा है।

तो दूसरी तरफ़ चर्चा इस बात की भी है कि डा रमन सिंह को विधानसमा अध्यन का पद रास नहीं  आ रहा है और वे राज्यपाल बनना चाहते है।

विधानसमा अध्यन के पद पर रहते हुए पार्टी की बैठकों में भागीदारी को लेकर उठते सवालों से एक बात तो तय है कि भारतीय जनता पार्टी में मोदी शाह के दौर में जिस बेशर्मी के साथ मान्य परम्पराओं को तोड़ा है ऐसा कभी नहीं हुआ है।

लोकसभा के स्पीकर को लेकर सवाल तो उठ ही रहे हैं, अब लोग सोमनाथ चटर्जी को भी याद करते हैं जिन्होंने राजनैतिक शुचिता और नैतिकता के लिए पार्टी से निस्कासन का दंशझेलने को तैयार हो गये लेकिन सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।

लेकिन मोदी शाह के इस दौर में जिस तरह से डॉ रमन  सिंह ने विधानसमा के स्पीकर जैसे पद पर रहते हुए पार्टी कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे है वह शर्मनाक है कहा जाए तब भी गलत नहीं होगा।


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