मंगलवार, 29 जनवरी 2013

नकटा के नाक ...


विधानसभा के चुनई इही साल होही, चुनई ल देख के फ़ेर खादी-भगवा वाले मन ल जनता के फि़कर होगे हे, कोनो रोड़ सो करत हे त कोनो परदरसन करत हे। रो सो हो चाहे परदरसन होय, अवइया जवइया मन के 12 बजत हे। पुलिस ह रद्दा ल घेर देवत हे अउ डंडा ल देखा-देखा के छेंकत हे अउ बपरा जनता ह कले चुप तमासा ल देखे बर मजबूर हे। नेतागिरी जम के होवत हे। हमर सरकार आही त ये करबो वो करबो के गोठ ल सुन डार। जेती देखबे तेती खाली एकेच ठन गोठ हे। कांग्रेसी मन ह 60 साल ले कुछु नइ करीन त भाजपाई मन 9 साल मा सबला बेच के अपन कोठी भरत हे।
जनता ह त रोटी असन होगे हे, कोनो बेलत हे, कोनो सेंकत हे, अउ कोनो खावत हे। जेखर जइसे मन होवत हे तइसे करत हे, फ़ेर जनता ल का मिलय तेखर फि़कर कोनो नई करत हे।
न गाँव म स्कूल हे, न अस्पताल। जिंहा स्कूल हे, तिंहा गुरुजी नई हे। अस्पताल हे त न डाक्टर के पता न दवई के पता हे। पीये के पानी के त नामेच झन ले। अउ नहर नाली के गोठ गोठियाबे त कोनो कारखाना ल लगा के खेतेच ल छीने के उदीम कर दीही। विकास के नाम झन लेबे। & रुपया किलो चांऊर म भुलाय रह। धान के बोनस बर झन कहिबे नही त लाठी बरस जाही। अऊ सरकार ह दस ठन काम गिना दीही के का का करे हन्।
अब ये रमन सरकार ल देख ले। किसान मन ल 270 रुपया बोनस देहे के बात करे रहिस। दिस नइ दिस। अब चार साल म त दिस नइ त आज का दीही। मांग करइया मन ल भितरा दिस। ते धरना परदरसन करत रहा। कुछुच फऱक नइ परय्। बेंझार के फ़ेर चुनई मा वोट ले लीही। गांव गांव म पलायन होतेच हे। काम बुता नइ हे। अऊ काम बुता नई रही त ठलहा मनखे करय काय। तेखर सेती गांव-गांव म दारु बेचइया मन ल ढील दे हे। दारु पी अऊ मस्त राह्। समस्या ल झन गोठिया। नशा म परे रह।
चुनई ल देख के फ़ेर बेंझारे के काम होवत हे। फ़ेर वादा करत हे। सड़क बना देबो, बिजली लगा देबो। अस्पताल-स्कूल खोलवा देबो कहात हे। फ़ेर पहली जेन अस्पताल अऊ स्कूल खुले हे तेन ल सुधरवाय के जांगर नइ चलत हे। राजधानी म नाच गाना देखे बर करोड़ों अरबो ल फ़ूंकत हे अउ गांव म स्कूल खोले बर पइसा नई हे।
छत्तीसगढ़ मा त अतियाचार होगे हे। नेता बनके पद पावत हे, अउ पोठ कमावत हे। गलत सलत काम म फ़ंस जथे तभो लाज नई आवत हे। तभे त गली-गली सब झन गोठियावत हे नकटा के नाक ह दिनो दिन बाढत हे।

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