बुधवार, 18 मार्च 2020

ये क्या हो रहा है कप्तान साहेब!


पीडि़तों को प्रताडऩा, अपराधियों से सेटिंग
छत्तीसगढ़ की राजधानी में पुलिस का हाल बुरा है। वर्दी की आड़ में कमाई का जरिया बना चुके विभिन्न थानों में पीडि़तों की जहां सुनवाई नहीं हो रही है वहीं अपराधियों से सांठ-गांठ कर मामले को रफा-दफा करने का खेल खुले आम चल रहा है। हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पीडि़तों को मुख्यमंत्री और राज्यपाल से गुहार लगाना पड़ रहा है तो मुख्यमंत्री को चेतावनी देनी पड़ रही है।
नेहा की सुनवाई कब?
होटल गिरिराज की डायरेक्टर नेहा पुरोहित का जीना दूभर हो गया है। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद है कि उनकी शिकायतों को पुलिस नजरअंदाज कर देती है। उनकी बिटिया से छेड़छाड़ होती है। सीसीटीवी के सबूत भी पुलिस के सामने कोई मायने नहीं रखता और अपराधिक तत्व थाने में घुसकर पुलिस के सामने नेहा से बदतमीजी करते है। पुलिस नेहा की शिकायत पर रिपोर्ट लिखना तो दूर उल्टे उसी के खिलाफ रिपोर्ट लिखना तो दूर उल्टे उसी के खिलाफ रिपोर्ट लिख देती है। हालत यह है कि वे राज्यपाल तक से न्याय की गुहार लगा चुकी है लेकिन कुछ नहीं हुआ। हालांकि वह परिवारवाद दायर करने की मन बना चुकी है लेकिन थानों की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस किस तरह दबंगों का साथ देती है। इस मामले का एक पहलू यह भी है कि उसकी लड़ाई सम्पत्ति को लेकर अपने भाई से ही है और पुलिस खुलकर अपराधियों का साथ दे रही है।
शराब लॉबी से सेटिंग
पिछले दिनों पुलिस ने हरियाणा से ट्रक में आई 22 लाख की शराब जब्त करने के लिए अपनी पीठ थपथपाने में व्यस्त रही और जनता भी पुलिस की इस कार्रवाई की सराहना कर रही है लेकिन इस घटनाक्रम का दूसरा पहलू यह है कि शराब मंगाने वाले मुख्य आरोपी अभी भी पुलिस के गिरफ्त से बाहर है। रसूखदार माने जाने वाले इस अपराधी को गिरफ्तारी से बचाने में पुलिस के आला अधिकारी ही नहीं कांग्रेस के कुछ नेता भी लगे हैं। सूत्रों की माने तो सौदेबाजी का बड़ा खेल चल रहा है। बताया जाता है कि एक विशेष व्यवसायिक वर्ग से जुड़े इस शराब माफिया से दस लाख रुपये लिए जाने का हल्ला है हालांकि हमारे सूत्रों का कहना है कि अभी सेटिंग का खेल चल रहा है।
शराब की अवैध बिक्री को लेकर प्रदेश में जिस तरह का खेल आम चर्चा का विषय बना हुआ है और मुख्यमंत्री से लेकर डीजी तक बिफरे हुए हैं उसके बाद भी थाना या सीएसपी स्तर पर सेटिंग की खबरों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस के हौसले किनते बुलंद हैं।
आरोपी को भगा दिया
तीसरा मामला नकली हवा कारोबार से जुड़ा है। मुखबिर की सूचना पर पिछले दिनों देवपुरी के एक गोदाम में छापा मारकर दो दर्जन कार्टून नकली दवाओं का जब्त तो किया गया लेकिन सूत्रों का दावा है कि जब्ती के दौरान वहां मौजूद मुख्य आरोपी श्रवण कुमार मंधानी उर्फ शिशुपाल को पुलिस के एक सिपाही ने महज पांच हजार लेकर भगा दिया। यही नहीं जिन निजी दवा दुकानों को यह दवाईयां बेची गई है उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है।
बहरहाल ये तीन घटनाएं बताती है कि पुलिस की कार्यप्रणाली राजधानी में कैसे चल रही है और सिका दुष्परिणाम क्या होगा? क्या इससे सरकार की बदनामी नहीं होगी?

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